बीकानेर के मंदिरों में रौनक,देर रात मारा जाएगा कंस, गली मोहल्लों में सज रही है झांकियां

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बीकानेर बुलेटिन




कृष्ण जन्माष्टमी पर बीकानेर के मंदिरों में जबर्दस्त रौनक देखने को मिल रही है। कोरोना काल के बाद पहली बार न सिर्फ झांकियां सज रही है बल्कि मंदिरों में कृष्ण के तरह तरह के रूप भी नजर आ रहे हैं। लक्ष्मीनाथ मंदिर में जहां गुरुवार को जन्माष्टमी मनाई गई, वहीं बड़ा गोपालजी मंदिर में शुक्रवार को मुख्य आयोजन होगा, वहीं शनिवार सुबह झांकी निकाली जाएगी।

दम्माणी चौक स्थित बड़ा गोपालजी मंदिर में शहर का सबसे बड़ा आयोजन हो रहा है। यहां निज मंदिर में बड़ा गोपालजी की प्रतिमा का विशेष शृंगार किया जा रहा है, वहीं दाऊजी मंदिर में तो इन दिनों उत्सव जैसा माहौल है। वैष्णव मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर विशेष पूजन के साथ ही बड़ा शृंगार भी हाे रहा है। फूल मालाओं से इतने आकर्षक शृंगार शहर के मंदिरों में देखने को मिल रहे हैं कि आंखे हटाने का मन नहीं करता। बड़ा गोपालजी के साथ छोटा गोपाल मंदिर, दाऊजी मंदिर, तुलसी मंदिर में खास सजावट देखने को मिल रही है।

इसके अलावा शहर के कई क्षेत्रों में जन्माष्टमी पर झांकियां भी सजाई जा रही है। परकोटे में जहां घर घर झांकी सज रही है, वहीं परकोटे से बाहर मंदिरों में झांकी सज रही है। शुक्रवार दोपहर को इन झांकियों की सजावट को अंतिम रूप दिया गया। रांगड़ी चौक में खास तौर पर झांकी सज रही है। पिछले बीस साल से यहां झांकी सजावट हो रही है। यहां जग्गनाथजी का विशाल रथ बनाया गया है, महाभारत में कृष्ण की भूमिका दिख रही है, वहीं शेषनाग से युद्ध भी दिख रहा है। जन्माष्टमी पर करणी माता मंदिर के दर्शन भी होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव को दर्शाते हुए झांकी में राफेल बनाया गया है। कृष्ण जनमहोत्सव समिति के विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि हम पिछले तीस साल से यहां जन्माष्टमी सजाने का काम कर रहे हैं।

पौशाक व खिलौनों की खरीद

पिछले दो साल तक जिन दुकानों पर ग्राहकों की कमी थी, वहां पिछले दो दिन से ग्राहकों की कतार लगी है। खासकर लड्डूगोपाल की पौशाक खरीदने की होड लगी हुई है। दस रुपए से दस हजार रुपए तक की पौशाक इन दिनों बाजार में मिल रही है। बड़ी संख्या में लोग घर में लड्‌डू गोपाल का पूजन करते हैं। ऐसे लोग लड्‌डू गोपाल के लिए सोने चांदी के जेवर भी खरीदते हैं।

देर रात मारा जाएगा कंस

बीकानेर में रात बारह बजे कंस को मारने की परंपरा रही है। कई जगह तो आदमकद कंस बनाकर उसे मारा जाता है, वहीं घरों में जन्माष्टमी सजाने वाले रात बारह बजे मटकी पर कंस बनाकर उसे फोड़ते हैं। इसके साथ ही कुछ सालों से बारह बजे आतिशबाजी का चलन भी बढ़ गया है।

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