बीकानेर। मौत का तांडव मचा रहे कोरोना के कहर में रोगियों के लिये जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों पर शिंकजा कसने के लिये बीकानेर पहुंची एसओजी की टीम ने यहां दवा कारोबार जगत की पांच फर्माे को जांच में दायरे मे लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार कहर बरपा रहे कोरोना के दौर में यहां बीकानेर में बीते एक माह के अंतराल में करीब ढाई तीन करोड़ रूपये के रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हुई है । यहां बड़े पैमाने पर हुई इस कालाबाजारी में फिलहाल मित्तल फार्मा, मित्तल ड्रग ऐजेसी,जिन्दल मेडिकोज,तंवर मेडिकोज,गौरव ऐजेंसी और राजेन्द्र मेडिकल एण्ड जनरल स्टोर का नाम सामने आया है। जानकारी के अनुसार जांच पड़ताल के लिये बीते सप्ताह बीकानेर आई एसओजी टीम इन फर्मो के रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरोख्त और सप्लाई से जुड़े दस्तावेज भी कब्जे में लिये है। इन इंजेक्शनों की कालाबाजारी के खेल में जीवन रक्षा होस्पीटल,डॉ.तनवीर मालावत होस्पीटल,एमएन होस्पीटल संचालकों के अलावा औषधी विभाग के सहायक औषधी नियंत्रक की मिलीभगत भी सामने आई है। वहीं दवा कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सबसे ज्यादा कालाबाजारी मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेसी की सामने आई है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों फर्मो के संचालकों ने करीब 1011 रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचे है । मजे कि बात तो यह है कि मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेंसी ने अपनी बिलिंग में शहर के डॉ.अशोक सुथार,डॉ.केके पुरोहित,डॉ.विजय शांति बांठिया,डॉ.अजय गुप्ता,डॉ.श्रेयासं जैन,डॉ.अच्यूत त्रिवेदी के अलावा कोलाकता,जयपुर और श्रीगंगानगर के कई प्राइवेट होस्पीटल में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की सप्लाई देना बताया है,जबकि इनमें अधिकांश बिल ही फर्जी बताये जाते है। इस तरह तंवर मेडिकोज और गौरव ऐजेंसी के बिलों में भी रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी के तथ्य सामने आये है। यह भी पता चला है कि इन फर्मो ने फर्जी बिलों के जरिये बीकानेर की प्रावइेट होस्पीटलों में बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई किये।
तीस-तीस हजार में बेचा एक इंजेक्शन
बीकानेर में बड़े पैमाने पर हुई रेमडेसिविर इजेंक्शन की कालाबाजारी से जुड़े मामले की पड़ताल में सामने आया है कि दवा कारोबारियों ने मौके का फायदा उठाने के लिये पहले तो इंजेक्शन की सप्लाई ठप्प कर दी,फिर डिमांड बढने पर एक इंजेक्शन तीस हजार रूपये की किमत में बेचा। इसके पुख्ता तथ्य भी सामने आये है कि बीकानेर में करीब ढाई तीन हजार रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी हुई है। जानकारी के अनुसार इस समय अलग अलग कम्पनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं. इसकी एक डोज की कीमत 899 रुपये से लेकर 5400 रुपये तक है,लेकिन डिमांड बढने और कोरोना की मारामारी का दौर शुरू होने के बाद दवा कारोबारियों ने इस इंजेक्शन की एक डोज तीस से चालीस हजार रूपये में बेची।
नकली इंजेक्शन कर दिये सप्लाई
हैरानी की बात तो यह है कि रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी में लिप्त मेडिकल फर्माे के संचालकों ने मारामारी के दौर में नकली और एक्सपायर डेट इंजेक्शन भी खूब सप्लाई किये। इसका खुलासा करने के लिये एसओजी ने इंजेक्शन निर्माता कंपनी से बैच नंबरों का ब्यौरा भी मांगा है,और इंजेक्शन सप्लायर मेडिकल फर्मा के दस्तावेजों से मिलान कर रही है। मामला मानव जीवन के स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण एसओजी इसकी गहनता से जांच कर कड़ी से कड़ी जोड़कर कालाबाजारी में लिप्त दवा कारोबारियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य सबूत जुटा रही है ।
एंटी वायरल इंजेक्शन है रेमडेसिविर
डॉक्टरों के मुताबिक रेमडेसिविर एंटी वायरल इंजेक्शन है,एंटी वायरल का मतलब है कि ये दवाई शरीर में संक्रमित कोशिशकाओं को ठीक करने साथ वायरल संक्रमण को रोकने में कारगर है,मतलब यह कि जब वायरस शरीर में फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है तो वायरस से लडऩे के लिए और नुकसान को रोकने के लिए ये दवाई दी जाती है. भारत सरकार ने पिछले साल ही कोरोना मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इस बार कोरोना के जानलेवा पलटवार में इस इंजेक्शन की डिमांड बढने से इसकी कालाबाजारी शुरू हो गई।