समस्याएं अपरंपार, आयुक्त-महापौर में आर-पार, आयुक्त-महापौर विवाद पार्ट-2 शुरू, भेजी महापौर के कथित दुर्व्यवहार-दुराचरण की जांच सहित रिपोर्ट

0
बीकानेर बुलेटिन




नगर निगम में आयुक्त-महापौर विवाद गंभीरतम स्थिति में पहुंच चुका है। हाईकोर्ट से निलंबन पर स्थगनादेश मिलने के बाद पुन: निगम लौटे आयुक्त गोपालराम बिरदा ने महापौर सुशीला कंवर के कथित दुर्व्यवहार-दुराचरण की जांच सहित रिपोर्ट निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव (स्वायत्त शासन विभाग, जयपुर) को भेज दी है। इस रिपोर्ट में महापौर पर लगे आरोपों का विवरण और निष्कर्ष जांच के साथ भेजे गए हैं।


इस रिपोर्ट से महापौर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। रिपोर्ट में ही आयुक्त ने महापौर पर विभिन्न मामलों में लगी धाराओं व दर्ज एफआईआर का हवाला देते हुए महापौर की ओर से जांच को प्रभावित किए जाने की आशंका व्यक्त करते हुए निष्पक्ष जांच के क्रम में महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित को निलम्बित करने का प्रस्ताव भेजा है।

निलम्बित किया जाना प्रस्तावित : आयुक्त

आयुक्त के पत्र अनुसार, प्राप्त शिकायतों के आधार पर महापौर सुशीला कंवर की ओर से सरकारी पत्रावलियों की चोरी, खुर्द-बुर्द करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोकसेवक के राजकार्य में बाधा पहुंचाने, पार्षदों की भीड़ एकत्रित कर लोक सेवक हंसा मीणा पर अनावश्यक दबाव बनाने, डराने-धमकाने तथा एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध करने के संबंध में की गई प्रशासनिक जांच में दोष साबित होते हैं। जो दुराचरण की श्रेणी में आते हैं। आयुक्त के पत्र अनुसार महापौर को दुराचरण का दोषी मानते हुए विभागीय कार्यवाही किया जाना प्रस्तावित है। पद पर रहते हुए महापौर की ओर से पुलिस जांच को प्रभावित किया जाने की संभावना है। निष्पक्ष जांच के क्रम में महापौर सुशीला कंवर को तुरन्त निलम्बित किया जाना प्रस्तावित किया गया है।

रिपोर्ट में यह भी

आयुक्त ने डीएलबी निदेशक को भेजी रिपोर्ट में बताया कि निगम के कर्मचारियों की ओर से भी महापौर पर दुराचरण किए जाने के आरोप लगाए गए है। पूर्व में राजस्व अधिकारी जगमोहन हर्ष के साथ भी महापौर के कहने पर महापौर के पति विक्रम सिंह की ओर से मारपीट की गई थी। जिसकी जांच राज्य सरकार के स्तर पर लंबित है। महापौर के पति एवं ससुर पर निगम के दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप एवं दुराचरण करने के भी आरोप लगाए गए है।

आरोप-एक

निगम सचिव हंसा मीणा ने आरोप लगाया कि 17 दिसंबर को अवकाश के दिन महापौर ने अपने पीए, पति और अन्य ने मिलकर उनके कक्ष को खोलकर कमरे में रखी टेबल की दराज के ताले तोड़कर सरकारी पत्रावलियां एवं उनका व्यक्तिगत सामान चोरी किया। साथ ही सरकारी सामान की तोड़ फोड़ की।

जांच का निष्कर्ष

आयुक्त ने डीएलबी को भेजे पत्र में बताया कि इस संबंध में जब जांच की गई, तो उपलब्ध ऑडियो, वीडियो को देखने एवं कक्ष के मौका निरीक्षण पर व स्टाफ से पूछताछ करने पर शिकायत को सही पाया गया। महापौर की ओर से बिना नियमित प्रक्रिया अपनाए एवं बिना सक्षम स्तर आयुक्त से स्वीकृति प्राप्त करे अवकाश के दिन इस प्रकार का दुराचरण किया गया। सरकारी पत्रावलियों को सचिव कक्ष से खुर्द-बुर्द करना पाया गया। टेबल की दराज के ताले टूटे हुए पाए गए।

महापौर और आयुक्त दोनों ही अपने व्यवहार और कृत्तव्यों में नाकामयाब रहे हैं। निगम में भी कार्मिकों के 2 गुट बन गए हैं। जो भी खींचतान हो रही है, उसका नुक़सान सीधे तौर पर जनता को उठाने पड़ रहे हैं। अहम सवाल यह है कि उनके दंभ और स्वार्थ का खामियाजा शहर की जनता को क्यों भुगतना पड़ रहा है? दूसरा सवाल यह कि सरकार इस ड्रामा की मूक दर्शक क्यों बनी हुई है? बीकानेर नगर निगम की व्यवस्था पूरी तरह आउट ऑफ ट्रेक जा चुकी है। इस पर अंकुश लगाने की जरुरत है।

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*