नगर निगम का लेखा-जोखा तैयार, बजट बैठक कल

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बीकानेर बुलेटिन






बीकानेर नगर निगम की बजट बैठक की तैयारी पूर्ण हो गई है। 13 फरवरी को बोर्ड की बैठक वेटेनरी ऑडिटोरियम में बजट पारित कराया जाएगा। इसके बाद सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस बार निगम का बजट लगभग 400 करोड़ का रहेगा।


हालांकि इससे पहले के तीन बजट की पूरी राशि नगर निगम खर्च नहीं कर सका। इस वजह से शहर के कई जरूरी काम अटके हए हैं।निगम बोर्ड की बैठक भी अब सिर्फ बजट को लेकर ही होती है। सिर्फ जनवरी में एक साधारण सभा की बैठक हुई, जिसमें पार्षदाें ने चर्चा की थी।

कायदे से हर तीन महीने में एक बार साधारण सभा की बैठक हाेनी चाहिए। जनवरी से पहले तीन साल में कोई फुल हाउस बैठक नहीं की। हर साल साढ़े तीन साै से पाैने चार साै कराेड़ के बीच बजट पेश किया जाता है, लेकिन वास्तविक बजट पाैने तीन साै कराेड़ के आसपास ही हाेता है।

इसीलिए कर संग्रहण भी ज्यादा नहीं होता। हर वार्ड में 45 लाख के विकास कार्य करने का दावा भी पिछले बजट में किया गया था। लेकिन वह भी पूरा नहीं हो पाया है। अभी भी करीब एक दर्जन वार्ड ऐसे हैं जहां राशि खर्च नहीं हुई, जबकि कुछ वार्डाें में एक से सवा कराेड़ रुपए तक खर्च हाे गए। वार्डाें के बीच राशि के बंटवारे का काेई नियम नहीं रहा।

पिछले तीन बजट के हालात

2020-21 में नगर निगम ने खर्च का अनुमान 373.10 करोड़ बताया था, मगर खर्च सिर्फ 277 करोड़ ही कर पाया।
2021-22 में 377.54 करोड़ रुपए खर्च करने थे, लेकिन सिर्फ 228.56 करोड़ रुपए ही विकास कार्यों पर लगा पाए।
2022-23 में 363.31 कराेड़ का बजट पेश किया था। अगली बैठक में वास्तविक बजट का लेखा-जाेखा आएगा।
इसलिए प्रस्तावित और वास्तविक बजट में आ रहा अंतर

व्यय : पिछले बजट में निगम की नई बिल्डिंग बनाने के लिए सात करोड़ रुपए निर्धारित किए थे, लेकिन निर्माण का काम ही नहीं हुआ। गोशाला के निर्माण पर एक करोड़ खर्च होना था वाे भी नहीं हुआ। ईआरसी के तहत एक करोड़ का फंड तय किया था, जिसमें नाली और सड़कें ठीक होनी थी।

मेयर हाउस के लिए भी अलग से बजट 2020-21 से तय है, लेकिन जमीन का विवाद ही नहीं सुलझ रहा। एक ही जमीन पर न्यास और निगम का अलग-अलग दावा है। फैसला कलेक्टर काे करना है, लेकिन एक साल से फाइल पर काेई निर्णय नहीं हुआ।

आय : नगर विकास न्यास से सात करोड़ रुपए मिलने का टारगेट था पर कुछ नहीं मिला। फायर सेस से तीन करोड़ वसूली हाेनी थी मगर सिर्फ 32 लाख रुपए ही आए। कहा तो ये भी गया था कि जो फायर सेस जमा नहीं करेगा उसकी बिल्डिंग को सील करेंगे, लेकिन निगम इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाया।

निर्माण की स्वीकृति में डेढ़ करोड़ रुपए मिलने थे, लेकिन 23 लाख रुपए ही आए। मृत पशु ठेके से करीब एक करोड़ के बदले 35 लाख, विधायक निधि में दाे कराेड़ के एवज में 33 लाख और सांसद निधि से सवा लाख रुपए ही मिले।

साइकिल स्टैंड, आवासन मंडल, यूडी टैक्स से करीब 10.60 कराेड़ की आय हाेनी थी, लेकिन यहां भी नगर निगम लक्ष्य से पीछे रहा। पिछले माह तक सिर्फ करीब सवा कराेड़ रुपए ही आय हाे सकी। ऐसे तमाम मद हैं जहां लक्ष्य के मुकाबले 20 से 25 फीसदी ही आय हुई।

प्रस्तावित बजट तैयार करते वक्त कई संभावनाएं होती हैं। अमृत योजना, स्वच्छ भारत मिशन, सीवरेज या तमाम ऐसी स्कीमें हाेती हैं जिनके हम प्रस्ताव बनाते हैं। उस हिसाब से बजट की उम्मीद करते हैं, लेकिन इम्प्लीमेंट करते वक्त इसमें कुछ बदलाव हाे जाता है। इसलिए प्रस्तावित बजट और वास्तविक बजट में अंतर आ ही जाता है। कभी भी वास्तविक और प्रस्तावित बजट एक जैसे नहीं हाेते। कुछ फर्क रहेगा। ये भी सच है कि कुछ काम नहीं हुए। अधिकारी रहते नहीं। पहले थे उनके बारे में सब जानते हैं। स्टाफ पूरा नहीं। इसलिए इस साल कुछ दिक्कतें हुई पर उम्मीद है अगले साल सब ठीक होगा। -सुशीला कंवर राजपुरोहित, मेयर

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