बीकानेर महापौर सुशीला कंवर की याचिका पर उच्च न्यायालय जोधपुर ने दिया स्टे,फैसला पूरे राजस्थान में होगा लागू महापौर ने कहा "सत्यमेव जयते"

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बीकानेर बुलेटिन

  • एकल हस्ताक्षर से पट्टे जारी करने पर हाई कोर्ट की रोक
  • महापौर सुशीला कंवर की याचिका पर उच्चन्यायालय का फैसला पूरे राजस्थान में होगा लागू



बीकानेर। प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत राज्य सरकार द्वारा दिनांक 9 सितंबर 2022 को जारी आदेश में फ्री होल्ड पट्टों पर उपायुक्त के एकल हस्ताक्षर से पट्टे जारी करने के निर्देश दिए गए थे। इसी के साथ नगर निगम बीकानेर के पूर्व आयुक्त गोपाल राम बिरडा द्वारा नगर निगम सचिव हंसा मीणा को अधिकृत करते हुए समस्त पट्टों पर एकल हस्ताक्षर से पट्टे जारी करने के निर्देश जारी किए। अधिकारियों की इस मनमानी के विरुद्ध नगर निगम बीकानेर की महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया । आज हुई सुनवाई में न्यायाधीश अरुण भंसाली की बेंच ने आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार के आदेश और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त गोपाल राम बिरडा के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायालय के अनुसार बिना महापौर के हस्ताक्षर या बोर्ड की शक्तियों को अधिकारी बदल नहीं सकते। न्यायालय के आदेशानुसार सभी तरह के पट्टों पर पूर्व की भांति प्राधिकृत अधिकारी के साथ संबंधित नगर पालिका/परिषद  /निगम के अध्यक्ष/सभापति/महापौर के हस्ताक्षर भी होंगे। महापौर सुशीला कंवर की याचिका पर सुनाया गया फैसला पूरे राजस्थान में लागू होगा । कई पालिका परिषदों में इस संबंध में राज्य सरकार को शिकायतें भी भेजी गई थी की अधिशासी अधिकारी या आयुक्त द्वारा एकल हस्ताक्षर से पट्टे जारी किए जा रहे हैं।  ऐसे में महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित की याचिका पर किए गए फैसले से सभी राजस्थान की पालिकाओं में अध्यक्षों सभापतियों और महापौर को बड़ी राहत मिली है।
 महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने बताया कि तत्कालीन आयुक्त की मनमानी और राजस्थान नगर पालिका एक्ट 2009 के विरुद्ध किए गए इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार में हर स्तर पर शिकायत की गई थी । शिकायत पर सुनवाई ना होने की स्थिति में अंततः न्यायालय में याचिका दाखिल की गई और आज न्यायालय में विधि संगत राज्य सरकार तथा तत्कालीन आयुक्त के आदेश पर रोक लगा दी है। जनता द्वारा चुने गए बोर्ड की शक्तियों का लगातार अधिकारियों द्वारा हनन करने का प्रयास किया जा रहा है । राज्य सरकार द्वारा भी ऐसे प्रकरणों में जनप्रतिनिधियों की शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती। पूर्व में भी राज्य सरकार द्वारा मनमाना आदेश जारी कर महापौर एवं पालिका अध्यक्षो को फाइल नहीं भिजवाने के आदेश जारी किए गए थे। इस प्रकरण पर भी मेरे द्वारा न्यायालय में याचिका दाखिल कर विधि संगत निर्णय करवाया गया था। मैं आशा करती हूं की एकल हस्ताक्षर से पट्टे जारी करने के आदेश के कारण जितनी भी अव्यवस्था ही हुई है माननीय न्यायालय के आदेश के बाद ऐसी अव्यवस्थाओं पर लगाम लगेगी।

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