मुक्ति संस्था की ओर से डॉ. मोहता की स्मृति में ऑनलाइन श्रद्धाजंलि कार्यक्रम आयोजित
बीकानेर, 19 मई/ मुक्ति संस्था के तत्वावधान में लोक कला मर्मज्ञ, साहित्यकार एवं आलोचक डॉ. श्रीलाल मोहता के निधन पर बुधवार को ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए ऊर्जा एवं जन स्वास्थ्य एवं अभियान्त्रिकी, कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने डॉ मोहता एक गंभीर रचनाकार, बेहतरीन आलोचक, कला के पारखी तथा शब्द शिल्पी थे। मथेरण कला पर उनका अध्ययन अविस्मरणीय था। डॉ कल्ला ने मुक्ति संस्था का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनका अप्रकाशित साहित्य प्रकाशित होना चाहिए तथा उनकी यादों को चिरस्थायी बनाने के लिए प्रतिवर्ष व्याख्यानमाला भी आयोजित की जानी चाहिए।
कवि - कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डॉ श्रीलाल मोहता के निधन से उन्हें गहरा आघात लगा है। वे सभी को अपनी स्मृति से समान रूप से लाभान्वित करते रहे। जोशी ने कहा कि कोमल कोठारी के बाद डॉ मोहता ने लोककला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया तथा उत्तर भारत में जिम्मेदार लोककला मर्मज्ञ के रूप में लोक कलाकारों को पहचान दिलाने एवं उन्हें मंच देने का प्रयास किया । जोशी ने कहा कि प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों को सदैव याद किया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार एवं हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी ने कहा कि डॉ. मोहता बौद्धिक संपदा के साथ बौद्धिक परिवेश से आते थे। वह अत्यंत प्रतिभावान थे। उनमें सादगी थी। बनावटी व्यवहार नहीं रखते थे। थानवी ने कहा कि उनकी भाषा में सादगी थी और वह महत्वाकांक्षी नहीं थे।
युवा साहित्यकार एवं आलोचक डॉ. राजेश कुमार व्यास ने डॉ. मोहता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ व्यास ने कहा कि डॉ श्रीलाल मोहता, लोक के आलोक से जुड़े हुए उम्दा शिक्षाविद् एवं रचनात्मक विचारों के साहित्यकार थें ।
पत्रकार- साहित्यकार मधु आचार्य 'आशावादी' ने डॉ मोहता के साथ की गई साहित्यिक यात्राओं की चर्चा करते हुए कहा कि वह, वात साहित्य के भंडार थे और बेहतरीन इंसान थे।दिल्ली के वरिष्ठ आलोचक रमेश तिवारी ने कहा कि डॉ श्रीलाल मोहता बेहद मूल्यवान व्यक्ति थे। उनके निधन से उन्हें गहरा आघात लगा है तथा उनके निधन से हिन्दी जगत को भारी क्षति हुई है ।
वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि अनेक भाषाओं का ज्ञान रखने वाले डॉ मोहता के पास ज्ञान का अकूत भंडार था। शर्मा ने कहा कि वे अपनी स्मृतियों में अनेक जानकारियां रखते थे।पूर्व आईएएस अधिकारी राजेन्द्र भाणावत ने कहा कि डॉ श्रीलाल मोहता स्नेह का भंडार थे और सकारात्मक सोच के साथ अपनी भूमिका निभाते रहे।
उदयपुर से वरिष्ठ आलोचक डॉ कुंदन माली ने कहा कि डॉ श्रीलाल मोहता सरल -सहज मृदुभाषी रचनाकार थे।
युवा आलोचक डॉ नीरज दइया ने कहा कि उनके द्वारा लिखित राजस्थानी उपन्यास पर विस्तार से चर्चा की जरुरत है ।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मदन केवलिया ने डॉ मोहता को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि वे लोक संस्कृति के विश्व कोश थे।वरिष्ठ पत्रकार दीपचंद सांखला ने कहा कि डॉ श्रीलाल मोहता के साथ आत्मीय रिश्ता था। एक गुरु और मित्र के रूप में उनसे बहुत खूब सीखने को मिला ।
जेएनवीयू बाबा रामदेव शोधपीठ के निदेशक डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित ने राजस्थानी विभाग में डाॅ. श्रीलाल मोहता द्वारा सम्पादित महत्वपूर्ण अकादमिक कार्यों का उल्लेख करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धान्जलि अर्पित की । डाॅ. राजपुरोहित ने कहा कि डॉ. मोहता विराट व्यक्तित्व के धनी थे । उनकी कला एवं साहित्य साधना पर पूरे देश के साहित्य जगत को गर्व है । इस अवसर पर डाॅ. श्रीलाल मोहता तथा प्रोफेसर (डॉ.) अर्जुनदेव चारण के अपनत्व तथा कार्य के प्रति समर्पण सेवा भाव को उजागर किया गया ।वरिष्ठ साहित्यकार एवं सम्पादक शिवराज छंगाणी ने कहा कि वे अद्भुत प्रतिभा के धनी थे।
श्रद्धांजलि सभा में डॉ मंगत बादल, प्रेरणा श्रीमाली, डॉ वत्सला पांडे, जाकिर अदीब, डॉ अजय जोशी, मुकेश व्यास, शशांक शेखर जोशी,मोनिका गोड़, पवन कुमार ओझा, सुभाष पुरोहित, अविनाश भार्गव ने भी सम्बोधित किया । श्रद्धांजलि सभा में डॉ नरपत सिंह सोढ़ा, डॉ बृजरतन जोशी, डॉ नमामी शंकर आचार्य, दिनेश पुरोहित,भंवर पुरोहित, उषा बाफना,डॉ लक्ष्मी नारायण खत्री, डॉ बी एम खत्री, इसरार हसन कादरी सहित अनेक महानुभावों ने शिरकत की । अंत में डॉ फारूख चौहान ने आभार प्रकट किया तथा दो मिनट का मौन धारण रखकर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई।