जैसलमेर के ख्यातनाम अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार दपु खान मिरासी का आज निधन हो गया. जैसलमेर की गलियों से लेकर इंटरनेट पर उनकी आवाज में मूमल गीत गूंज रहा है, मगर आज वो जगह खाली है, जहां एक टाट की बोरी पर कमायचा लेकर दपु खान बैठे रहते थे.
दपु खान मिरासी के निधन की खबर आते ही हिन्दू-मुस्लिम सभी की आंखें नम हो गयी. मूमल नामक गीत से मशहूर दपु खान की वो मीठी आवाज भी उन्हीं के साथ चली गयी. बताया गया है कि दपु खान झणकली गांव के मूल निवासी थे. आज दिल का दौरा पड़ा था और वो जोधपुर के निजी अस्पताल में भर्ती थे. वहीं, उन्होंने अंतिम सांस ली. जैसलमेर किले के ऊपर और कलाकारों के बीच में पुराने समय से एक वाद्य यंत्र कमायचा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए, दपु खान तीस वर्षों से दुनिया भर के लोगों का मनोरंजन कर रहे थे.
मंदिरों और शाही दरबार में गाते हैं दपु खान के समूह के लोग
दपु ने भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में प्रदर्शन किया है. उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के लिए व्हाइट हाउस में भी गाया है, जो कुछ साल पहले जोधपुर आए थे. वह दपु खान को अपने समूह के साथ गाते हुए सुना था. साथ ही कोक स्टूडियो में भी कई राजस्थानी गीतों की प्रस्तुतियां दी हैं. रेत के बीच में दपु खान और उनके समूह ने अपने शक्तिशाली आत्मीय संगीत में 1500 साल पुरानी विरासत को संभाला. वर्तमान में, इनके समूह में चार सदस्य हैं, जो शुभ अवसरों पर मंदिरों और शाही दरबार में विभिन्न अवसरों पर गाते हैं.