अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर सेवा का जलवा

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बीकानेर बुलेटिन




दिनेश गुप्ता 

बीकानेर, 7  फ़रवरी । रात के अंधेरे में जब सारा शहर सोता है,उस वक्त सूनी सड़कों पर कुछ अलग सा  लीक से हटकर  हो रहा होता है। कोई अपनी भूख लेकर  सो ना जाए, हमारे रहते कुछ ऐसा हो ना जाए, इसी जज्बे को लेकर एक समूह मूक जानवरों को अन्न की सेवा दे रहा होता है। यह समूह एक ऐसा समूह है जो पुण्य पाने की लालसा को लेकर नहीं बल्कि अपना कर्म समझकर कार्य कर रहा होता है। यहां प्राणियों  से साक्षात्कार कराने वाले लोगों की बात महज इसलिए की जा रही है कि वे ना तो वो पैसों से ज्यादा अमीर हैं और ना ही उनके लबे-चौड़े कारोबार हैं। लेकिन फिर भी वे अपनी मेहनत का एक हिस्सा मूक जानवर जिनमें गाय, गोधे और श्वान शामिल हैं पर खर्च करते हैं।
यहां बात की जा रही है दशाणियों का चौक निवासी गोपीकिशन अग्रवाल और उनकी पूरी 13  सदस्यों की टीम में शामिल अनिल, विनय, डालचंद, लालचंद, रवि, सूरज, माणक, जॉनी, चेनाराम, बजरंग, रामचन्द्र और आनंद की जो आनंदपूर्वक हथाई करते हुए पहले तो पूरे बीस किलो बाजरी के आटे से करीब 350  रोटियां बनाते हैं।  ये लोग   ना तो किसी  पूर्णिमा और ना ही अमावस्या का इंतजार करते हैं  इसके बाद अलग-अलग दल बनाकर आसपास के क्षेत्र में विचरण करने वाले  गाय-गोधों और श्वानों के लिए खाना लेकर निकलते हैं। इतना ही नहीं श्वानों के बच्चे इन्हें खाने में सक्षम नहीं होते हैं तो उनके लिए गुड़ डालकर चूरमा बनाते हैं और प्रेमपूर्वक खिलाते हैं। इसे सेवा का जज्बा ही कहा जाना चाहिए कि यह लोग निरंतर  अक्टूबर माह के आरंभ से लेकर फरवरी माह के अंतिम तारीख तक एकाकार होकर पिछले आठ सालों से यह कार्य कर रहे हैं।

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