गौ माता रहीं हैं सरकारों के बनने-बिगड़ने का आधार, उन्हें क्या मिला इस बजट में ?

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बीकानेर बुलेटिन




वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में देश का आम बजट पेश किया, बजट में किए गए प्रस्ताव छह मुख्य केंद्रों पर आधारित थे। स्वास्थ्य और कल्याण, भौतिक और वित्तीय पूंजी और अवसंरचना, आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी में नवजीवन का संचार करना, नवप्रवर्तन और अनुसंधान एवं विकास, न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन। पर इसके किसी भी भाग में गाय या उस कामधेनु योजना का जिक्र नहीं किया गया, जिसका केंद्र सरकार ने बर्ष 2019 में अपने अंतरिम बजट में एलान किया था।

बता दें कि बर्ष 2015 के बाद से ही राजनीति में गायों का मुद्दा केंद्र में रहा है। गायों के लिए पहले भी कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया जा चुका है। पर इस बार के बजट में न तो गायों की सुध ली गई और न हीं 'राष्ट्रीय कामधेनु आयोग' के गठन पर कोई बयान आया।

अंतरिम बजट में दिये थे 750 करोड़ रुपए

बता दें कि बर्ष 2019 के अंतरिम बजट में बीजेपी सरकार ने गायों के लिए 'राष्ट्रीय कामधेनु आयोग' के गठन का ऐलान किया था, उस समय केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि, वर्तमान वर्ष में ही राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए 750 करोड़ रुपए का आवंटन किया जाएगा। साथ ही गोयल ने कहा थी कि , गौ माता के सम्मान में और गौ माता के लिए ये सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी। पर इस बार के बजट मे न तो गायों के सम्मान की याद आई और न ही गौ माता की रक्षा में सरकार के योगदान की।

'गौ माता का सनातन संस्कृति व भारतवर्ष से अटूट रिश्ता : अमित शाह

देश में गायों के नाम पर राजनीति में आने वाले ही गायों को भूल गयें है, साल 2019 के बजट में कामधेनु आयोग की घोषणा पर उस समय के बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह ने कहा था कि , 'गौ माता का सनातन संस्कृति व भारतवर्ष से अटूट रिश्ता है। पर वही रिश्ता अब सरकार भुला रही है, देश में हर जगह गायें सडंकों पर घूमने और किसानों की फसल बर्बाद करने को मजबूर हैं क्योंकि सरकार उनके रख रखाव के लिए कोई भी मजबूत कदम नहीं उठा पाई है। इस बार के बजट में उम्मीदें थी कि इस बार गौ माता का ध्यान दिया जायेगा पर इस बार तो चर्चा तक नहीं की गई।

चार प्रमुख स्तम्भ : गंगा, गीता, गायत्री, गौ

दरअसल भारतीय संस्कृति के चार प्रमुख स्तम्भों गंगा, गीता, गायत्री, गौ में गाय का महत्व कम नहीं है। हमारे पूर्वजों में गायत्री, गंगा और गीता के प्रति जो श्रद्धा और सम्मान की भावना है वही गाय के प्रति भी है। प्राचीन काल से ही गाय को पूजनीय माना गया है, सनातन धर्म में माता कहा जाता है क्योंकि माता अपने बंच्चों के लिए हर रूप में हितकारी होतीं है वैसे ही गऊ माता है, क्योंकि गाय से प्राप्त हर एक पदार्थ हमारे लिए उपयोगी है और आज के प्रदूषित समय में इसकी महत्वता और भी बढ़ जाती है। 

राज्य सरकारें अपने स्तर पर गौ रक्षा के लिए कदम उठी रहीं हैं, पर देश स्तर पर ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है, जिस सरकार से इस सब की उम्मीद की जा रही है वह भी आज कल गायों को सिर्फ चुनाव के समय़ ही याद कर रही है।

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