कोविड अस्पताल में मिला उम्दा इलाज, फिर प्लाज्मा डोनेट कर चुकाया फर्ज

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दिल्ली से पीहर नोखा आते ही राधिका को परिवार सहित कोरोना ने लिया चपेट में, कोविड अस्पताल में मिला उम्दा इलाज, फिर प्लाज्मा डोनेट कर चुकाया फर्ज

‘जरूरी होने के कारण ससुराल दिल्ली से पीहर नोखा आना पड़ा। यहां आते ही पूरे परिवार को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया। सभी कोविड अस्पताल में भर्ती हुए और यहां की चुस्त-दुरूस्त व्यवस्थाओं के कारण सभी जल्दी ही ठीक भी हो गए। अब मेरी बारी थी। हमारे परिवार को बचाने के लिए दिन-रात एक करने वालों के सम्मान में मैंने दोबारा दिल्ली से बीकानेर आकर प्लाज्मा डोनेट किया। इससे मुझे जो सुकून मिला, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।’

यह कहना है दिल्ली निवासी और नोखा की बेटी राधिका सोनी का। राधिका अपने पति योगेन्द्र सोनी और तीन बच्चों के साथ जून में अपने पीहर नोखा आई। यहां पहुंचने के साथ ही बुखार और कोरोना केे अन्य लक्षण दिखने लगे। जागरुकता के साथ उन्होंने अविलम्ब जांच करवाई और खुद, उनके पति और दो बच्चे कोरोना पाॅजिटिव पाए गए। चिकित्सकों के मार्गदर्शन में सभी को कोविड अस्पताल में भर्ती करवाया गया। राधिका के पति और बच्चे तो जल्दी ठीक हो गए, लेकिन इंफेक्शन राधिका के फेंफड़ों तक पहुंच गया था। निमोनिया के लक्षण थे। साथ ही डायरिया और सांस संबंधी समस्या भी बढ़ रही थी। ऐसे दौर में चिकित्सकों के सतत प्रयास एवं उपचार की बदौलत वह स्वस्थ होने लगे। कुछ दिनों बाद उनके पूरे परिवार की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। इसके बावजूद एहतियातन उन्हें जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए एक क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया।

उन लम्हों को याद करते हुए राधिका कहती हैं कि बीकानेर में मिली उम्दा चिकित्सा सुविधाओं ने उनके परिवार को बड़ी मुश्किल से निकाला। वे सदैव इनके प्रति शुक्रगुजार रहेंगी। उनके पति ने भी अस्पातल और क्वारेंटाइन सेंटर की सभी व्यवस्थाओं को सराहा। वहीं बच्चों ने भी सरकार, प्रशासन और चिकित्सकीय सेवाओं का आभार जताते हुए कहां कि इन व्यवस्थाओं के कारण उनकी आॅनलाइन स्टडी प्रभावित नहीं हुई।

राधिका ने कहा कि चिकित्सकों ने उनके परिवार को कोरोना के बुरे दौर से निकाला। इसके बाद अगस्त में उन्हें प्लाज्मा डोनेशन के संबंध में जानकारी मिली। इस पर तुरंत निर्णय लेते हुए वह दोबारा बीकानेर आई और प्लाज्मा डोनेट कर सरकार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन की मुस्तैदी, डाॅक्टरों के सेवा और समर्पण भाव की बदौलत इन मुश्किल परिस्थितियों पर विजय पाई जा सकी है।

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