बीकानेर, 26 दिसम्बर। गोबर व गौमूत्र पर वर्चुअल राष्ट्रीय गौ समृद्धि का दो दिवसीय सम्मेलन शनिवार को वेटरनरी विश्वविद्यालय में शुरू हो गया। राजस्थान गौ सेवा परिषद् एवं वेटरनरी विश्वविद्यालय के सामाजिक विकास एवं सहभागिता प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन में देश भर के आध्यात्मिक चिंतकों, शिक्षाविदों, पशुचिकित्सा एवं कृषि विशेषज्ञों तथा सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय संगठनों के प्रबुद्धजनों ने शिरकत की। सम्मेलन में गौवंश के महत्व और गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद और कीटनाशक बनाने व विपणन पर उपयोगी संवाद किया गया। राज्य के ऊर्जा एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डाॅ. बी.डी. कल्ला ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि पूरे विश्व में आज गौवंश व उसके उत्पादों का महत्व और मांग है। उन्होंने देशी गौ गौवंश के पंचगव्य, गोबर और गौमूत्र के मानव जीवन में चिकित्सकीय महत्व और शरीर शुद्धिकरण के शाकाहारी गुणों को महत्वपूर्ण बताया। गोबर और गौमूत्र के चिकित्सकीय अनुसंधान और उपयोगिता को स्थापित करना होगा। सम्मेलन में शिवबाड़ी के मानव प्रबोधन प्रन्यास के अधिष्ठाता संवित् सोमगिरी जी महाराज ने अपने उद्बोधन में गौवंश के सांस्कृतिक, प्राकृतिक और आर्थिक महत्व को उजागर करते हुए कहा कि ऋषि चक्र और कृषि चक्र में गोबर और गौमूत्र से संक्रांति लाई जा सकती है उन्होंने परिषद् के अभियान की सराहना की। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने कहा कि देश में राजस्थान देशी गौवंश संख्या में तीसरे स्थान पर हैं। उन्होंने कहा गौ सेवा परिषद् का अभियान गौवंश और मानव जीवन के कल्याण से जुड़ा है। वेटरनरी विश्वविद्यालय देशी गौवंश के उन्नयन व संर्वद्धन हेतु उत्पादों के अनुसंधान और अनुत्पादक गौवंश की उपयोगिता और रासायनिक विश्लेषण पर हर संभव सहयोग करेगा। राष्ट्रीय कामधेनू आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने कहा कि देशी गौवंश से बायो-फर्टिलाइजर और बायो पेस्टीसाईड बनाने के अभियान हमारी प्राथमिकता में शामिल है। गौ विज्ञान अनुसंधान केन्द्र, नागपुर के सुनील मानसिंगा ने गोबर और गौमूत्र की उपयोगिता के अभियान के लिए राजस्थान में गौ सेवा परिषद् के कार्यों को अग्रणी बताया। श्री गोबर गोपाल महाराज ने कहा कि गौवंश के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के केन्द्र स्थापित कर उचित मूल्य व्यवस्था कर पशुपालकों को जागरूक करना होगा। राजुवास के मानव संसाधन विकास निदेशक प्रो. त्रिभुवन शर्मा ने कहा कि गोबर और गौमूत्र अपशिष्ट नहीं वरन महत्वपूर्ण उत्पादन है तथा इसका उपयोग खेती में करने से मानव मात्र स्वस्थ व निरोगी बनेगा। वर्चुअल सम्मेलन के प्रारंभ में राजस्थान गौ सेवा परिषद् के अध्यक्ष हेम शर्मा ने बताया कि गोबर और गौमूत्र के विपणन और उपयोगिता पर दो राष्ट्रीय और तीन प्रदेश स्तर पर सम्मेलन आयोजित कर जागरूकता लाई जा रही है। परिषद् ने देश के 20 प्रदेशों में संयोजक नियुक्त कर देश की 3 हजार गौशालाओं और 28 संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. आर.के. धूड़िया ने देश भर से शामिल हुए प्रबुद्धजनों का सफल सम्मेलन में भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया। वेबिनार का संचालन गौ सेवा परिषद् के गजेन्द्र सिंह संाखला ने किया। राजुवास फेसबुक पेज पर वेबिनार में शामिल बुद्धिजनों ने अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए। वेबिनार में राजुवास के पूर्व कुलपति एवं परिषद् के राष्ट्रीय संयोजक डाॅ. ए.के. गहलोत, गौपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक निदेशक डाॅ. लाल सिंह, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरोहित, संयुक्त निदेशक कृषि डाॅ. हरीश शर्मा, विश्वविद्यालय के डीन-डारेक्टर, वीयूटीआरसी के वैज्ञानिक एवं विभिन्न राज्यो के गौ प्रेमी भी शामिल रहे। रविवार को भी प्रातः 11ः30 बजे से राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।