बेपटरी सफाई व्यवस्थाएं, निगम, सरकार-प्रशासन बेपरवाह

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बीकानेर बुलेटिन




नगर निगम संबंधित व्यवस्थाएं बदहाल हैं। सड़कों पर कचरे की ढेरियां और पशुओं का जमावड़ा आम बात हो गई है। कचरा परिवहन के नाम पर हरसाल लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी आमजन कचरे व गंदगी से परेशान है। सीवरेज, सड़क और नाला सफाई के लिए करोड़ों रुपए की मशीनें है, लेकिन उचित मॉनटिरिंग नहीं है। हर गली, मोहल्ले और कॉलोनी में कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। सड़कों पर खुले में बेसहारा पशु घूम रहे हैं। प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत लोग पट्टों के लिए निगम के चक्कर निकाल रहे हैं। निगम में तीन आरएएस अधिकारी नियुक्त होने के बाद भी न कार्यालयी व्यवस्थाओं से आमजन संतुष्ट है और न ही धरातल पर हो रहे कार्यों से। नियम और प्रक्रिया ताक पर है। पार्षद भी छोटे-छोटे कार्यों के लिए निगम के चक्कर निकाल रहे हैं। पार्षदों-आमजन में आक्रोश अंदर ही अंदर उबाल मार रहा है। कब यह आंदोलन के रूप में सामने आ जाए, कहा नहीं जा सकता।

जिला अधिकारी बने मूकदर्शक

जिला प्रशासन में कार्यरत अधिकारी निगम की व्यवस्थाओं से वाकिफ हैं, फिर भी आमजन को हो रही परेशानियों को लेकर मूकदर्शक बने हुए हैं। कोई कदम न उठाते हुए यहां की उठा-पटक और कुव्यवस्थाओं से दूरी बनाए बैठे हैं।

विपक्ष ने साधी चुप्पी

नगर निगम में निर्वाचित बोर्ड है। सत्तारूढ़ बोर्ड के साथ मजबूत विपक्ष भी है। नेता प्रतिपक्ष भी हैं, लेकिन शहरवासियों को रही परेशानियों को लेकर इन सबकी चुप्पी आमजन को खल रही है। कचरा परिवहन, रोड लाइट, बेसहारा पशु पकड़ना, कुत्ते पकड़ना, रोड स्वीपर, पॉकलेन मशीन से नाला सफाई आदि कार्यों के टेंडर नहीं होने के बाद भी विपक्ष की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के कारण विपक्षी कांग्रेस पार्षद निगम अधिकारियों को आंख दिखाने से बच रहे हैं। विरोध जताने से भी बच रहे हैं।

जनप्रतिनिधि भी हुए मौन

नगर निगम व शहर के हालातों को देखने के बाद भी शहर के जनप्रतिनिधि और राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग मौन है। छोटे-छोटे मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन करने वाले राजनीतिक कार्यकर्ता आज बेपटरी हुई शहर की कचरा परिवहन व्यवस्था पर मौन है। शहर की 34 हजार एलइडी लाइटों का रख रखाव किस प्रकार होगा, कोई निगम से सवाल तक नहीं कर रहा है। निगम सड़कों से बेसहारा पशु कब पकड़ेगा, अधिकारियों से पूछ तक नहीं रहे है।

निगम क्षेत्र में एक सांसद, पांच विधायकों के निवास

नगर निगम क्षेत्र में एक सांसद व पांच विधायकों के मकान है। इनमें विधायक डॉ. बीडी कल्ला, गोविन्दराम चौहान, भंवर सिंह भाटी, सिद्धि कुमारी और सुमित गोदारा शामिल है। इनमें डॉ. बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी व गोविन्दराम चौहान प्रदेश सरकार में मंत्री है, जबकि अर्जुनराम मेघवाल केन्द्र में मंत्री है। ये मंत्री और विधायक प्रदेश व देशभर के मुद्दे सदनों में उठाने के साथ समाधान भी कर रहे है, लेकिन निगम संबंधित अव्यवस्थाओं से शहर की जनता को हो रही परेशानियों के लिए इनके पास भी समय नहीं है। बोर्ड-निगम अध्यक्ष रामेश्वर डूडी, मदन मेघवाल व लक्ष्मण कडवासरा के मकान भी निगम क्षेत्र में है, लेकिन शहर के हालात व शहरवासियों को हो रही परेशानियों पर गौर नहीं कर रहे है।

तीन आरएएस फिर भी व्यवस्थाएं बदहाल

जिन सरकारी विभागों में प्रशासनिक व्यवस्थाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती है, वहां राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को नियुक्त करने की बात उठने लगती है। नगर निगम में एक व दो नहीं तीन आरएएस अधिकारी कार्यरत है, फिर भी निगम की व्यवस्थाएं बेपटरी बनी हुई है। निगम में वर्तमान में आयुक्त व दोनो उपायुक्त पदों पर आरएएस अधिकारी है। न निगम की कार्यालयी व्यवस्थाएं ठीक नजर आ रही है और ना ही फील्ड कार्यों की मॉनिटरिंग प्रभावी नजर आ रही है। निविदा प्रक्रिया में उलझी व्यवस्थाएंनिगम संबंधित कई व्यवस्थाएं निविदा प्रक्रिया में उलझी हुई है। कभी टेंडर हो रहे है तो कभी निरस्त। ऐसे में इन व्यवस्थाओं का लाभ शहरवासियों को नहीं मिल रहा है। ट्रैक्टर ट्रॉली से कचरा परिवहन की व्यवस्था सिरे नहीं चढ़ रही है। वर्ष 2020 में हुए टेंडर की फर्म तीन साल बाद तक कार्य कर रही है। बेसहारा पशुओं को पकड़ने व रोड सफाई के लिए 100 सफाई श्रमिकों का टेंडर आयुक्त की ओर से निरस्त किया जा चुका है। यहीं नहीं कुत्ते पकडना व नसबंदी, रोड स्वीपर मशीन, पॉकलेन मशीन की निविदा प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है। ईईएसएल की 34 हजार रोड लाइटों का अनुबंध समाप्त हो चुका है। निगम की ओर से अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था इनके रख रखाव के लिए नहीं की गई है।




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