वॉट्सऐप डीपी लगाकर फर्जी नंबर से रिश्तेदारों से ठगी

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बीकानेर बुलेटिन



राजस्थान पुलिस साइबर क्राइम की घटनाओं पर लगाम को लेकर चाहें जितने दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। ताजा मामला नोखा कस्बे का सामने आया है, जहां एक साइबर फ्रॉड ने शहीद जगदीश बिश्नोई की वीरांगना पत्नी रचना बिश्नोई की वॉट्सऐप डीपी का इस्तेमाल करके फर्जी नंबर से उसके रिश्तेदारों से ठगी कर रहे थे। मामले का संज्ञान लेकर पुलिस साइबर सेल को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है।

शहीद जगदीश के बड़े भाई रामनिवास बिश्नोई ने बताया कि ठगी और आई टी ऐक्ट के तहत ठगी की जानकारी बीकानेर पुलिस के अधिकारियों को दी है व 1930 नंबर पर शिकायत दर्ज करवाई है। रामनिवास ने बताया कि उनके रिश्तेदारों से ठगों ने 13 हजार रुपए की ठगी की है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है।

आम आदमियों को भी बना रहे थे अपना शिकार

जानकारी के मुताबिक साइबर अपराधी फर्जी नंबर पर नोखागांव के मूलसिंह की डीपी की फोटो लगाकर उनके रिश्तेदारों और आम लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे थे, मामला मूलसिंह की जानकारी में आने के बाद उन्होंने सोशल नेटवर्क पर ठग का फेक नंबर जारी कर लोगों से अपील करते हुए सावधान, सतर्क रहने को कहा। मूलसिंह ने सोशल नेटवर्क पर नंबर व स्क्रीनशॉल जारी कर लोगों से किसी प्रकार की अपनी कोई डिटेल या जानकारी न देने की अपील की। मूलसिंह ने बताया कि इस दौरान उनके मोबाईल की कॉन्टेक्ट लिस्ट भी मोबाईल की हट गई व मोबाईल ने काम करना भी बंद कर दिया व सिर्फ इनकमिंग कॉल ही जारी थे।

साइबर क्राइम से बचाव ही उपाय है

पिछले कुछ समय में ऑनलाइन फ्रॉड का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, जिसमें खासे पढ़े-लिखे लोग भी ठगे जा रहे हैं। साइबर अपराधों में सोशल मीडिया को अक्सर माध्यम बनाया जाता है। ऐसे में शिक्षित कर साइबर अपराध से स्वयं को बचाने तथा अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को भी इसकी जानकारी देकर फ्रॉड से उन्हें बचाने के लिए मुख्य बातों को ध्यान में रखा जाए। अपना बैंक एकाउंट नंबर, पासवर्ड आदि किसी को न बताएं। अपने इंटरनेट बैंकिंग और बैंकिग ट्रांजिक्शन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, पार्क, सार्वजनिक मीटिंग और किसी भीड़-भाड़ वाले स्थान पर न करें। अपना एटीएम का पिन कोड लिख कर नहीं रखें और न हीं किसी को ओटीपी बताएं। फर्जी कॉल से बचें। किसी प्रकार के प्रलोभन वाले कॉल से बचे एवं बिना जांच-परख के किसी को भी अपने बैंक खाता से संबंधित किसी प्रकार की जानकारी न बताएं।

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