बीकानेर। अपराध में लिप्त युवाओं को इस दलदल से बाहर निकालकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बीकानेर रेंज पुलिस अनूठी पहल करने जा रही है। पहले ऐसे युवाओं की काउंसलिंग की जाएगी, फिर पुलिस लाइन में ट्रेनिंग देकर कम्युनिटी पुलिस ऑफिसर (सीपीओ) बनाया जाएगा। पुलिस ने इसकी शुरुआत, साटिया समाज से की है। बादमें ऐसे अन्य समाज के लोगों को भी इससे जोड़ा जाएगा। ऐसे युवाओं को सीपीओ के रूप में तैनात करने के साथ ही इनके परिवार की महिलाओं को भी हर जिले की पुलिस लाइन व नजदीकी थाने में सिलाई-कढ़ाई, बुनाई का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। बीकानेर रेंज पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश ने इस प्रोजेक्ट को नई राह नाम दिया है। रेंज के चारों जिलों (बीकानेर, गंगानगर,हनुमानगढ़, चूरू) में इसका सर्वे भी शुरू हो गया है।
इसलिए पड़ी जरूरत
साटिया समाज में शिक्षा स्तर लगभग शून्य है। समाज की मुख्य धारा से कटे हुए हैं। समाज के कई लोग चोरी,छीना-झपटी, अवैध शराब बिक्री में संलिप्त रहते हैं। इन्हें कोई काम तक नहीं देता। मजबूरन वे अपराध के रास्ते पर चल पड़ते हैं। नोखा, बादूनं, नापासर, लूणकरनसर के गारबदेसर, श्रीडूंगरगढ़, रतनगढ़ के बीनासर, सरदारशहर, तारानगर व श्रीगंगानगर के साधुवाली, हनुमानगढ़ टाउन में इस समाज के लोग बड़ी संख्या में हैं।
----
परिवार को इस तरह जोड़ेंगे मुख्यधारा से
- नई राह के तहत समाज के युवाओं को जिले की पुलिस लाइन में सात दिवसीय कम्युनिटी पुलिस ऑफिसर का कोर्स कराया जाएगा। इसके बाद उन्हें ग्राम पंचायत व व्यापार मंडल के माध्यम से सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दिलाई जाएगी।
- इनके बच्चों को नजदीकी स्कूलों में पढ़ाने की व्यवस्था करेंगे।
- महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई व बुनाई का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान भोजन व आवास एवं प्रशिक्षण सामग्री की व्यवस्था जनसहयोग से की जाएगी।
---
इन जिलों में इतने परिवार
- बीकानेर - 270
- श्रीगंगानगर -115
- हनुमानगढ़ - 90
- चूरू - 222
---
भटकों को नई राह दिखाएंगे
साटिया समाज के जो लोग मुख्यधारा से भटक गए हैं, उन्हें राह दिखाने के लिए पुलिस नई राह नाम से नवाचार कर रही है। समाज के लोगों का सर्वे कर उन्हें विभिन्न तरह के कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अगले महीने साटिया समाज के साथ एक महापंचायत होगी। इसके बाद समाज के चयनित लोगों को उनकी रूचि के अनुरूप प्रशिक्षित किया जाएगा।
ओमप्रकाश, पुलिस महानिरीक्षक बीकानेर रेंज
---
पुलिस की सराहनीय पहल
31 अगस्त, 1952 तक साटिया सहित ऐसी अन्य जातियों के लोगों पर अंग्रेजों की ओर से बनाए गए कानून लागू थे। समाज के लोगों को हर दिन पुलिस थानों में हाजिरी देनी होती थी। देश आजाद होने के पांच साल 16 दिन बाद वो कानून वापस लिया गया था। आम लोगों की साटिया समाज के प्रति सोच ही ऐसी बन गई। इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना जरूरी है। समाज के उत्थान के लिए पुलिस की पहल सराहनीय है।
धर्मपाल कटारिया, अध्यक्ष, बाबा रामदेवजी महाराज रुणिचा सेवा संस्थान