बीकानेर। बीकानेर की सायबर सैल ने ऐतिहासिक कार्य करते हुए राजस्थान पुलिस की छवि में चार चांद लगा दिए हैं। मामला बीकानेर के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की जीवनभर की पूंजी से जुड़ा है। पूंजी इतनी थी कि अगर सायबर सैल मदद नहीं करती तो पीड़ित का पूरा परिवार ही बर्बाद हो जाता।
दरअसल, जिन्ना रोड़ निवासी मंजूर अली के खाते में सेवानिवृत्ति के बाद की पहली किस्त आई थी। यह किस्त 10 लाख 42 हजार रूपए की थी। 11 सितंबर को मंजूर अली के पास एक फ्रॉड का फोन आया था। कहा कि वह एसबीआई बैंक के से बोल रहा है। फ्रॉड ने कहा कि आपका योनो आईडी ब्लॉक है, उसे पुनः सुचारू करने के लिए आपके पास एक ओटीपी आया है, वह हमें बताओ। इस पर मंजूर ने ओटीपी बता दिया। मंजूर उसके बाद बात भूल गए। अगले दिन बैंक गए तो पता चला कि खाते से 10 लाख 42 हजार रूपए डेबिट हो चुके हैं। दिनभर इधर उधर पता करने के साथ, मंजूर ने समझदारी दिखाई और रात नौ बजे सायबर क्राइम रेस्पॉन्स सैल के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर शिकायत दर्ज करवाई।
सैल के कांस्टेबल प्रदीप जांगिड़ ने तुरंत सूचना प्रभारी देवेंद्र सोनी को दी। तुरंत प्रभाव से शिकायत दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई। सैल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सारी ताकत झोंक दी। कमाल की बात यह है कि शिकायत दर्ज होने के 15 घंटों के भीतर ही पैसे रिफंड करवा दिए गए। इतनी तीव्र गति से कार्रवाई करने में एसबीआई बैंक जयपुर के नोडल अधिकारी बिरेंद्र कुमार मय टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनकी टीम में अंशुल शर्मा व सुरेश शर्मा शामिल थे। वहीं सायबर सैल की देवेंद्र सोनी मय टीम में कांस्टेबल प्रदीप जांगिड़, कांस्टेबल सत्यनारायण व कांस्टेबल सुशीला सिंवर शामिल रहीं।
उल्लेखनीय है कि बीकानेर की सायबर क्राइम रेस्पॉन्स सैल राजस्थान की पहली सायबर इकाई है। दस लाख रिफंड करवाने की यह कार्रवाई अपने आप में ऐतिहासिक कार्रवाई है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पीड़ित मंजूर अली ने भी समय रहते सैल से संपर्क कर लिया। अगर समय पर सायबर सैल से संपर्क किया जाए तो ठगों के मुंह से निवाला छीनकर मेहनत की कमाई रिफंड करवाना आसान हो जाता है।