बीकानेर। सोशल मीडिया का कितना दुरुपयोग किया जा रहा है। इसकी वजह आज सुबह से वायरल हो रहे है एक विडियो से लगाई जा सकती है। जिसमें एक कैफे में युवक युवतियों को आपतिजनक हालत में पुलिस द्वारा पकड़ा जाना बता रहे है। जेएनवीसी थाना इलाके के एक कैफे से इस प्रकार की पुलिस की कार्यवाही के इस वायरल विडियो की सच्चाई की पड़ताल जब बीकानेर बुलेटिन ने जानी तो सामने आया कि यह विडियो बिल्कुल फेक है। जो पुलिस इस विडियो में कार्यवाही करती दिखाई जा रही है,वह राजस्थान पुलिस नहीं है। बल्कि उत्तरप्रदेश की पुलिस है। लेकिन इस तरह के वायरल विडियो के बाद पुलिस थाने के फोन दिनभर से बजने से पुलिस को खासी परेशानी हुई है। बताया जा रहा है कि किसी ने कैफे को बदनाम करने की नीयत से इस तरह का फेक विडियो जारी कर सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। इस बारे में बीकानेर पुलिस ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वायरल वीडियो बीकानेर से संबंधित नही है, भ्रामक प्रचार प्रसार ना करें यह कानूनन अपराध है। इस तरह के भ्रामक वीडियो अथवा न्यूज वायरल करने वालो की सूचना तुरंत पुलिस को देवें।
ये है वीडियो वायरल की सच्चाई
आगरा पुलिस के हरीपर्वत थाने में तैनात तीनों पुलिस कर्मियों पर एक कैफे के अंदर का वीडियो बनाकर वायरल करने का आरोप है. वीडियो में युवक-युवतियां आपत्तिजनक स्थिति में थे. कैफे में घुसते समय इनमें से एक पुलिसकर्मी ने वीडियो बनाया
था। आरोप है कि कैफे में घुसकर तीनों पुलिसकर्मी सीढ़ियों से नीचे उतरे और नीचे बनी केबिन के आगे लगे पर्दों को हटा हटाकर चेक करने लगे. परदे हटाने के बाद ज्यादातर केबिन में लड़के और लड़की बैठे हुए थे. लड़के और लड़कियां आपत्तिजनक स्थिति में थे. वायरल वीडियो की जानकारी एसएसपी को मिली. एसएसपी ने मामले की जांच के आदेश दिए. जांच में तीनों पुलिसकर्मियों की अनुशासनहीनता सामने आई.
इसके बाद थाना हरीपर्वत पर नियुक्त तीनों पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. तैनात हेड कॉन्स्टेबल रंजीत, कॉन्स्टेबल सौरभ कुमार व पीआरवी दो पहिया पर नियुक्त कॉन्स्टेबल ज्ञानेन्द्र सिंह पर कार्रवाई की है. आरोप है कि इन लोगों ने वीडियो लीक कर अनुशासनहीनता, स्वेच्छाचारिता, उद्दंडता कर पुलिस विभाग की छवि धूमिल की है.