बीकानेर:विश्व विख्यात पुष्करणा सावा 18 फरवरी 2022 को हुआ फाइनल

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बीकानेर बुलेटिन


विद्वानों की चर्चा के बाद पुष्करणा सावा भवानीशंकर-अम्बिका नाम से 18 फरवरी 2022 को हुवा फाइनल 

विद्वान पंडितों के गहन शास्त्रार्थ के बाद पुष्करणा ओलंपिक सावा 18 फरवरी 2022 को तय हुआ है:-

कम खर्च में विवाह करने के आदर्श उदाहरण के रूप में विख्यात बीकानेर का पुष्करणा सावा इस बार 18 फरवरी 2022 को होगा। सामूहिक विवाह के इस आयोजन में सैकड़ों युवक-युवती विवाह बंधन में बंध जाते हैं और एक साथ अधिक शादियां होने के कारण चाहकर भी ज्यादा खर्च नहीं कर पाते।

दशहरे पर बीकानेर के शिव मंदिर में कई घंटे तक शास्त्रों पर चर्चा के बाद 18 फरवरी की तारीख तय की गई। भगवान शिव और मां पार्वती को आदर्श मानते हुए उनके नाम से ही श्रेष्ठ मुहुर्त पर कई घंटे तक पंडित चर्चा करते हैं। इसके बाद एक श्रेष्ठ तारीख तय की जाती है। इस बार ये तारीख 18 फरवरी तय की गई है। माना जा रहा है कि इस सीजन में इससे श्रेष्ठ विवाह मुहुर्त नहीं हो सकता। इस बार भवानीशंकर-अंबिका के नाम से सावा तय हुआ है। विवाह के साथ ही उपनयन संस्कार का सावा भी तय किया गया है। किस दिन उपनयन संस्कार हो सकता है, इसका डिटेल कार्यक्रम भी एक-दो दिन में जारी होगा।


क्या है इसका उद्देश्य

बीकानेर के पुष्करणा सावे का सबसे बड़ा कारण विवाह में होने वाली फिजुलखर्ची को रोकना है। आमतौर पर जो लोग लाखों रुपए विवाह में खर्च कर देते हैं, वो सावे में महज औपचारिक खर्च कर पाते हैं। एक ही दिन में बड़ी संख्या में विवाह होने के कारण बारात में पचास-साठ लोग भी बड़ी मुश्किल से जुट पाते हैं। पिछले कुछ सालों में सावे में लोग विवाह कम करते हैं, फिर भी ये संख्या हर बार दो सौ से अधिक जोड़ों तक पहुंच जाती है।

यहां से आते हैं समाज के लोग

बीकानेर के अलावा पुष्करणा समाज के लोग कोलकाता में रहते हैं। हर बार सावे पर बड़ी संख्या में कोलकाता से लोग बीकानेर आते हैं और यहां अपने बच्चों का विवाह करके कुछ ही दिन में वापस लौट जाते हैं।

चट मंगनी, पट ब्याह

ये कहावत भी पुष्करणा सावे पर लागू होती है। देशभर से पुष्करणा समाज के लोग बीकानेर आते हैं, इस दौरान लड़के-लड़की की तुरंत सगाई भी हो जाती है और कुछ दिन में ब्याह भी। श्रेष्ठ मुहुर्त होने और कम खर्च के कारण भी लोग शादी करने यहां आते हैं।

पुष्करणा ओलंपिक भी कहते हैं

पहले पुष्करणा सावा हर चार साल में एक बार होता था लेकिन कुछ साल पहले इसकी अवधि को घटाकर चार से दो वर्ष कर दिया गया।

परकोटा ही होता है मैरिज पैलेस

इस दौरान इतनी शादियां होती है कि परकोटे में बसा बीकानेर ही मैरिज पैलेस की तरह सज जाता है। लगभग हर मोहल्ले में विवाह होते हैं। अधिकांश मैरिज पैलेस पहले ही बुक हो जाते हैं। हर तरफ विवाह का कोई न कोई आयोजन हो रहा होता है। ऐसे में पूरा परकोटा ही विवाह कार्यक्रम स्थल की तरह लगता है।

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