स्कूल फीस: राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला किया रद्द, लाखों अभिभावकों पर पड़ेगा अब फीस का भारी भरकम बोझ

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बीकानेर बुलेटिन




जयपुर. राजस्थान के निजी स्कूलों की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें उसने निजी स्कूलों को 60 से 70 फीसदी ट्यूशन फीस  लेने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस कृष्णा मुरारी की बैंच ने आज यह फैसला सुनाया. हालांकि विस्तृत फैसला आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि निजी स्कूलें कितनी और किस तरह से फीस की वसूली कर सकेंगी.

इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को अंतरिम फैसला देते हुए कहा था कि अभिभावकों को सत्र 2020-21 की पूरी फीस देनी होगी. हालांकि अभिभावकों को राहत देते हुए कोर्ट ने यह फीस 6 किस्तों में अदा करने की छूट दी थी. इसके लिये पहली किस्त अदालत ने 5 मार्च को देना तय किया था. अब उसी मामले आज कोर्ट ने आज अपना अंतिम फैसला सुनाया है.

हाई कोर्ट ने यह सुनाया था फैसला

राजस्थान हाई कोर्ट ने गत वर्ष 18 दिसम्बर को फैसला सुनाते हुए कहा था कि प्रदेश की निजी स्कूलें जो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध रखती हैं वे 60 फीसदी ट्यूशन फीस और जो स्कूलें सीबीएसई से एफिलेटेड हैं वे 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूल कर सकती हैं. हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ भारतीय विद्या भवन और एसएमएस सहित प्रदेश की कई नामी स्कूलें सुप्रीम कोर्ट चली गई थी. स्कूलों की तरफ से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल, अधिवक्ता अनुरूप सिंघी व अन्य ने पैरवी की.


गत वर्ष से अभिभावक कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं

उल्लेखनीय है कोरोना काल के समय की फीस देने को लेकर गत वर्ष से अभिभावक कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं. फीस के मसले को लेकर पहले गहलोत सरकार ने अभिभावकों को कुछ राहत देते हुये आदेश निकाले थे. लेकिन निजी स्कूलों के विरोध के बाद मामला कोर्ट पहुंच गया था. हाई कोर्ट से अभिभावकों को कुछ राहत मिली तो नामी निजी स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये.

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