ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग पूरी करे केन्द्र
जयपुर, 22 मई। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे गर्मी के इस समय में कन्टींजेन्सी प्लान की क्रियान्विति करते हुए पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 13 जिलों के लिए महत्वाकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) राजस्थान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना चाहिए। इस विषय पर राज्य सरकार के अधिकारी केंद्र सरकार के संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ लगातार समन्वय करेंं।
श्री गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेयजल प्रबंधन की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों को ईसरदा, नवनेरा और परवन बांध जैसी अन्य सभी महत्वपूर्ण जल परियोजनाओं के कार्याें को भी तेज गति से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने विभाग द्वारा गर्मी के मौसम में अब तक किए गए बेहतर जल प्रबंधन पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में भी प्रदेशवासियों को पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए समन्वित प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हर घर जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
श्री गहलोत ने कहा कि विधायकों की अभिशंषा के आधार पर पेयजल संबंधी स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 10 नलकूपों और 40 हैण्डपम्प के कार्यों की मंजूरी दी हुई है। अभियंता इन कार्यों की नियमित मॉनीटरिंग कर सुनिश्चित करें कि ये सभी कार्य समयबद्ध रूप से पूर्ण हों, ताकि आमजन को इनका लाभ समय पर मिल सके।
जलदाय मंत्री श्री बीडी कल्ला ने जल जीवन मिशन ग्रामीण में प्रदेश की विभिन्न पेयजल योजनाओं के कार्याें को सम्मिलित करने का सुझाव दिया ताकि हर घर पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में शहरी क्षेत्रों के लिए भी जल जीवन मिशन की घोषणा की गई है। विभाग के अभियंता शहरी जल प्रदाय योजनाओं से संबंधित कार्यों को इसमें शामिल करने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दें।
बैठक में जलदाय विभाग के एसीएस श्री सुधांश पंत ने बताया कि कोविड की चुनौती के बावजूद ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु के दौरान बेहतरीन पेयजल प्रबंधन किया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश के 30 शहरों तथा 2777 गांव-ढाणियों में पेयजल का परिवहन किया जा रहा है। साथ ही, 779 नए जल स्रोत बनाने, पाइपलाइन अथवा पम्प सेट बदलने के 245 तथा 272 नए नलकूप अथवा हैण्डपम्प चालू करने के कार्य किए हैं।
बैठक में बताया गया कि इन कार्याें के लिए फरवरी-मार्च महीनों में ही 220 करोड़ रूपए से अधिक की स्वीकृतियां जारी कर दी गई थीं। इनके आधार पर टैंकरों से जल परिवहन, नए जल स्रोत तैयार करने, पाइपलाइन एवं पम्प सेट बदलने आदि पेयजल संबंधी कार्य कराए गए हैं। आवश्यकतानुसार अतिरिक्त स्वीकृतियां भी जारी की जा रही हैं।
श्री सुधांश पंत ने बताया कि सभी जिला कलक्टरों को ग्रीष्मकालीन पेयजल प्रबंधन के आकस्मिक कार्य हेतु 50 लाख रूपए प्रति जिला फरवरी माह में ही स्वीकृत कर दिए गए थे, जिसके आधार पर कुल 14.75 करोड़ रूपए की लागत वाले 324 स्वीकृत कार्यों में से 114 कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं तथा 290 कार्य प्रक्रियाधीन हैं।
बैठक में बताया गया कि वर्तमान मेें इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र से जुड़े जिलों के लिए चालू नहरबंदी इतिहास की सबसे बड़ी नहरबंदी है। इसमें पंजाब में नहरों की रि-लाइनिंग एवं रख-रखाव के लिए 60 दिन तक जल प्रवाह रोका गया है। बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर एवं बाड़मेर जिले पूर्णतः तथा सीकर एवं झुंझुनूं जिले आंशिक रूप से प्रभावित हैं। इस अवधि में पेयजल की उपलब्धता के लिए विभाग ने डिग्गियों, टैंक आदि जल स्रोतों में पानी का स्टोरेज कर पेयजल आपूर्ति में कोई समस्या नहीं आने दी है। नहरबंदी 28 मई को समाप्त हो रही है।
जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री नवीन महाजन ने बताया कि पंजाब क्षेत्र में नहरबंदी के दौरान नहरी क्षेत्र में रि-लाइनिंग तथा जीर्णोद्धार का काम तीव्र गति से चल रहा है। इससे बरसात के दिनों में बहकर पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोका जा सकेगा और राजस्थान के लिए अधिक मात्रा में जल उपलब्ध हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने जलदाय तथा जल संसाधन विभागों के अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं, अधीक्षण एवं अधिशाषी अभियंताओं आदि से पेयजल आपूर्ति, जल जीवन मिशन, नहरबंदी आदि विषयों पर गहन संवाद कर फीडबैक लिया। बैठक में मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री अखिल अरोरा, मुख्य अभियंता जलदाय विभाग श्री सीएम चौहान, मुख्य अभियंता जल संसाधन श्री आशिम मार्कण्डेय तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।