बढ़ती कोरोना संक्रमितों की संख्या के बीच अब 1 मई से 18 साल से 45 साल के एज ग्रुप वालों के भी कोरोना टीकाकरण को लेकर मंजूरी दे दी गई है। केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद महाराष्ट्र और राजस्थान सरकार ने फ्री वैक्सीनेशन का ऐलान किया है। गहलोत सरकार की ओर से वैक्सीनेशन के लिए 3000 करोड़ का बजट आंवटित किया गया है। वहीं बताया जा रहा है कि राजस्थान के लिए सीरम इंस्टीट्यूट को 3.75 करोड़ वैक्सीन देने के लिए ऑर्डर भी दे दिया गए है। अभी प्रदेश में फिलहाल वैक्सीन उपलब्धता के आधार पर पूर्व निर्धारित आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।
चिकित्सा मंत्री का कहना 15 मई से पहले संभव नहीं
उल्लेखनीय है कि जहां केंद्र की ओर से 1 मई से ही 18 से अधिक आयु वालों को वैक्सीनेशन देने का काम शुरू करने के लिए कहा गया है। वहीं राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि इस संबंध में विभाग के अफसरों ने सीरम इंस्टीट्यूट से बात की है, जिसमें इंस्टीट्यूट ने 1 मई तक तक वैक्सीन देने में असमर्थता जाहिर की है। उनका कहना है कि सीरम इंस्टीट्यूट ने 15 मई तक केंद्र सरकार को ही सप्लाई का कमिटमेंट पूरा होने में संशय जताया है। ऐसे में एक मई से 18 से 45 आयुवर्ग का वैक्सीनेशन संभव दिखाई नहीं दे रहा है।
केंद्र से मिलेगी वैक्सीन, तो एक मई से होगा वैक्सीनेशन
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने मीडिया से कहा है कि चिकित्सा विभाग के अफसर लगातार सीरम इंस्टीट्यूट के संपर्क में हैं। 3.75 करोड़ वैक्सीन के ऑर्डर दे दिए हैं। उनका कहना है कि सीरम इंस्टीट्यूट से 15 मई के बाद ही वैक्सीन मिलने के आसार जताए हैं। ऐसे में अगर केंद्र सरकार वैक्सीन भेजता है, तो ही 1 मई से वैक्सीनेशन हो सकता है, अन्यथा समय लगेगा। इधर जानकारों का कहना है कि केंद्र - राज्य सरकार के बीच चल रही तल्खी के बीच प्रदेश में इस आयुवर्ग के वैक्सीनेशन के लिए लगभग छह महीनें तक का भी समय लग सकता है।
अब तक 1.24 करोड़ लोगों का हुआ वैक्सीनेशन
बता दें कि अब तक राजस्थान में 1 करोड़ 3 लाख लोगों को वैक्सीन का पहला डोज और 20.34 लाख लोगों को दोनों डोज मिली है। कुल मिलाकर अभी तक 1.24 करोड़ लोगों को ही राजस्थान में वैक्सीन लगी है। वहीं 3.75 करोड़ आबादी के वैक्सीनेशन के लिए सरकार की ओर से बजट आंवटित कर अब वैक्सीनेशन सप्लाई आने का इंतजार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 18 से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण का जिम्मा राज्य सरकार पर ही छोड़ाहै। राज्य सरकारें ही वैक्सीन निर्माता कंपनी से वैक्सीन खरीदेगी, फिर अपने मुताबिक यह तय करेगी कि किस तरह राज्यों में वैक्सीनेशन का काम किया जाए।