प्रदेश के 30 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर जीत हार विश्नोई वोटों के आधार पर होती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश के भाजपा कांग्रेस और अन्य दलों के जनप्रतिनिधियों और नेताओं ने मिलकर विश्नोई जाति को केंद्र में ओबीसी का दर्जा दिलाए जाने की मांग को लेकर मुलाकात की थी। बिश्नोई समाज के नेताओं ने सीएम गहलोत से राज्य सरकार से केंद्र को सिफारिश पत्र भिजवाए जाने की मांग की थी।
सीएम गहलोत ने अपने वादे को पूरा करने के लिए अब प्रदेश के सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग से विश्नोई जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को सिफारिश का पत्र भेज दिया है। प्रदेश के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने दो दिन पहले यह पत्र भेजा है। प्रदेश में अभी ओबीसी की राज्य सूची में 91 जातियां हैं। इनमें से कई जातियां केंद्रीय सूची में शामिल नहीं है।
प्रदेश में विश्नोई जाति ओबीसी में शामिल है। 1 जनवरी 2000 को विश्नोई जाति को राज्य ओबीसी की सूची में 60वें नंबर पर शामिल किया था। विश्नोई जाति को प्रदेश में तो ओबीसी आरक्षण मिल रहा है, लेकिन केंद्रीय सेवाओं में इसका लाभ नहीं मिल रहा।
ओबीसी की राज्य सूची में शामिल जाति को केवल उसी राज्य में आरक्षण का लाभ मिलता है। केंद्रीय सूची में शामिल जाति को केंद्रीय सेवाओं में भी आरक्षण कर लाभ मिलता है। ओबीसी की केंद्रीय सूची में कोई जाति तभी शामिल हो सकती है जब संबंधित राज्य सरकार राष्ट्रीय ओबीसी आयोग को सिफारिश करें। उसके बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग उस जाति की पात्रता जांच कर अपनी सिफारिश करता है उसके बाद कोई जाति केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल की जाती है।
विश्नोई जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने की कई दिनों से मांग चल रही है। पिछले दिनों वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई की अगुवाई मेंं विश्नोई समाज के कांग्रेस और भाजपा विधायकों ने सीएम गहलोत से मिलकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को सिफारिशी पत्र भेजने की मांग की थी। इस प्रतिनिधिमंडल में वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई के साथ भाजपा विधायक पब्बाराम विश्नोई, बिहारीलाल विश्नोई, कांग्रेस विधायक किशनाराम विश्नोई, महेंद्र विश्नोई शामिल थे।