राजस्थान में पुलिस की टीम ने ही पुलिस वालों पर हमला कर दिया। कथित तौर पर मारपीट के बाद एडिश्नल डीसीपी को जीप में बंधक बना कर रखा गया। आईकार्ड दिखाने और लाख दुहाई देने के बाद भी एक न सुनी गई। हालांकि, घंटे भर बाद किसी तरह कमिश्नर के दखल से उन्हें बचाया जा सका।
यह मामला भरतपुर का है। बताया गया कि जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के एडिश्नल डीसीपी राजेंद्र खोत देर रात 12 बजे के आसपास धौलपुर से लौट रहे थे। तारीख-पेशी से होकर वह आ रहे थे और रास्ते में मलाहपुलिया के पास वह कुछ लोगों के साथ शौच के लिए गाड़ी से उतरे थे। इसी बीच, वहां एक पुलिस वाहन आया था, जिसमें से कुछ पुलिस वालों ने उनसे पूछताछ की थी।
जवाब में एडि.डीसीपी की ओर से कहा गया कि वे लोग भी पुलिस वाले हैं और उन्हें सभ्यता से बात करनी चाहिए। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में बहस बढ़ गई। आरोप है कि पुलिस वालों ने एडि.डीसीपी से इसके बाद बदतमीजी की और जीप में जबरन बैठा लिया। करीब एक घंटे तक उन्हें बंधक बना कर रखा गया। गाड़ी में उन्हें पीटा भी गया। थाने ले जाने की कोशिश भी की गई।
हालांकि, खोत को कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने किसी तरह बचा लिया। जयपुर के कमिश्नर ने मौके पर एसपी को भेजा, जिसके बाद एसपी ने माफी मांगी। शिकायत डीजीपी से भी की गई, पर देर रात पीड़ित एडि.डीसीपी की डीजीपी से बात न हो सकी थी।
घटना के बाद पीड़ित एडि.डीसीपी ने स्थानीय मीडिया को बताया, “पुलिस कमिश्नर न बचाते तो यह वर्दीधारी गुंडे मुझ पर गोली चला देते या थाने में पीटते रहते।” वहीं, इस मसले पर एसपी की ओर से कहा गया कि एडि.डीसीपी नशे में धुत्त थे। वह इस दौरान वर्दी उतारने की धमकी दे रहे थे।
बता दें कि मलाह का इलाका है रेड लाइट एरिया से लगता हुआ इलाका है। गश्त के दौरान पुलिस वहां आने वाले लोगों पर ऐक्शन लेती रहती है। साथ ही वह नेशनल हाईवे से लगा (क्षेत्र) भी है।