भक्ति जहाँ दुखी हो और ज्ञान और वैराग्य मूर्च्छित तो भागवत धर्म वहाँ जागृति पैदा करती है- पं. आशाराम व्यास

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बीकानेर बुलेटिन



बीकानेर: महेश्वराय, खतूरिया कालोनी में आज दिनांक- 27 फरवरी, शनिवार से6 मार्च तक आयोजित कथा के पहले सत्र में राजा परीक्षित प्रकरण से कथा का आरंभ करते हुए भागवताचार्य डाक्टर पं. आशाराम व्यास ने कथा की प्रासंगिकता बताते हुए कहा कि कथा किसी की व्यथा सुनने के लिए नहीं है बल्कि अपने जीवन में परिवर्तन करनी की कला है।
       
पं. व्यास ने बताया कि कथा सुनना हमारी पात्रता को लक्षित करता है ना कि विवशता को । हम कथा को समसामयिक संदर्भ में मनन करें तो यह हमारी सोच को सार्थक बनाती है।और जो निराशा हमारे जीवन में आई है वो नव आशा का संचार करती है। 

कथा का आयोजन डी.के.आर. सेवा ट्रस्ट की ओर उसकी अध्यक्ष डाक्टर श्रीमति सुनीता लोहिया के सानिध्य में किया जा रहा है।

कथा के साथ संगीतमय पक्ष को भागवताचार्य श्री योगेश व्यास द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम की यू ट्यूब रिकार्डिंग का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।
       
कथा से जीवन में आनन्द की वृद्धि होती है और क्लेश की समाप्ति होती है क्योंकि भागवत के भगवान अक्लिष्टकर्मा है वो ना तो क्लेश देते हैं और ना ही क्लेश को स्वीकार करते हैं। कथा स्थल से समाचार संकलन प्रसिद्ध पत्रकार के. कुमार आहूजा द्वारा किया जा रहा है।


भक्ति जहाँ दुखी हो और ज्ञान और वैराग्य मूर्च्छित तो भागवत धर्म वहाँ जागृति पैदा करती है जिससे भक्ति सुख को और ज्ञान और वैराग्य जागृति को प्राप्त होते हैं। (चेदात्मभाग्येषु ) 

कथा को विस्तार देते हुए पं. आशाराम जी व्यास ने बताया कि भागवत कथा हमें कृष्ण से मिलाती नहीं है कृष्ण से एकाकार करती है । भागवत कथा हमारे अंदर की भगवत्ता को जगाती है और यह भगवत्ता हमारे अन्दर सिर्फ ईश्वर के प्रेम के प्रागट्य से ही सम्भव है।

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