बीकानेर, 7 फरवरी। लक्ष्मीनाथ मंदिर भक्त मंडल द्वारा रविवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह का मंदिर परिसर में नागरिक अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि बीकानेर गंगा-जमुनी संस्कृति वाला जीवंत शहर है। यहां की लोक परम्पराएं पूरे देश में विशिष्ट हैं। छोटी काशी के रूप में यहां के लोगों ने धर्म, कर्म और आस्था को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा मंदिर परिसर में औषधीय महत्त्व वाले पौधे लगाए जाएंगे, जिससे आमजन को इनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी हो सके। विश्वविद्यालय के बागवानी विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर यहां अवलोकन किया जाएगा।
भक्त मंडल के गिरिराज हर्ष ने कहा कि बीकानेर में हर किसी को अपना बना लेने की खूबी है। यहां के लोगों ने अपनापन है। उन्होंने संस्था की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। डाॅ. मुकेश किराडू ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा मुकेश जोशी ने आभार जताया। इस अवसर पर माला एवं शाॅल पहनाकर तथा स्मृति चिह्न भेंट कर कुलपति का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में नगर विकास न्यास के सहायक सचिव मक्खन आचार्य, रंगा राजस्थानी, भानू प्रताप पणिया, राकेश स्वामी, मुकेश स्वामी, राजेश पुरोहित तथा दिनेश चूरा आदि मौजूद रहे।
सूखी सब्जियों की ली जानकारी
इस दौरान कुलपति ने बड़ा बाजार के किराणा व्यापारियों से केर, सांगरी, काचरी, ग्वार फली, पान मैथी आदि सूखी सब्जियों एवं मसालों की पैकेजिंग की संभावनाओं की चर्चा की और कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव में किसानों को इनसे संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किए जाएंगे।
पाटों पर जाना रम्मतों के बारे में
प्रो. सिंह ने आचार्य चौक तथा मोहता चौक में पाटों पर बैठे वरिष्ठजनों से यहां की रम्मतों के बारे में जानकारी ली। आचार्य चौक में उस्ताद मेघराज आचार्य, झंवरलाल आचार्य आदि ने अमर सिंह राठौड़ की रम्मत एवं मोहता चौक में घनश्याम लखाणी, नंद किशोर व्यास और श्रीलाल जोशी ने हेडाउ मेहरी की रम्मत के बारे में बताया।
आचार्य ने भेंट की पुस्तकें
इस दौरान युवा साहित्यकार हरि शंकर आचार्य ने कुलपति को अपने हिंदी काव्य संग्रह क्यूं रचूं कविता, राजस्थानी काव्य संग्रह करमां री खेती और राजस्थानी बाल साहित्य पेटूराम रो पेट की प्रति भेंट की। रंगीला फाउण्डेशन की ओर से कुलपति का अभिनंदन किया गया। इस दौरान दुर्गाशंकर आचार्य, मधुसूदन व्यास और केशव आचार्य मौजूद रहे।