नई दिल्ली:केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर करीब एक महीने से किसानों का प्रदर्शन जारी है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज किसानों को संबोधित करेंगे. उन्होंने कल ट्वीट कर कहा कियह दिन किसानों के लिए बेहद अहम है. पीएम मोदी पीएम-किसान निधि की अगली किस्त जारी करेंगे.
यह कार्यक्रम ऐसे दिन है जब देश में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती भी मनाई जाएगी. वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से भाजपा इस दिन को ‘‘सुशासन दिवस’’ के रूप में मनाती है.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ''कल का दिन देश के अन्नदाताओं के लिए बेहद अहम है. दोपहर 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 9 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को पीएम-किसान की अगली किस्त जारी करने का सौभाग्य मिलेगा. इस अवसर पर कई राज्यों के किसान भाई-बहनों के साथ बातचीत भी करूंगा.''
क्या है बीजेपी की तैयारी?
कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के गतिरोध के बीच पीएम मोदी का संबोधन काफी महत्वपूर्ण है और इसके लिए बीजेपी ने काफी तैयारियां की है.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कहा, ‘‘इस उत्सव के अवसर पर बीजेपी के नेता और देश भर के किसान अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. देश के 19,000 से ज्यादा स्थानों पर ये कार्यक्रम आयोजित होंगे. इन कार्यक्रमों में देश के एक करोड़ से ज्यादा किसानों की भागीदारी सुनिश्चित हुई है.’’
उन्होंने कहा कि सिर्फ उत्तर प्रदेश में 3000 स्थानों में इन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. अरुण सिंह ने कहा, ‘‘देश के किसान को भरोसा है कि देश की खेती-किसानी का यदि कोई भला कर सकता है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही कर सकते हैं.’’
किसानों ने कहा- ठोस प्रस्ताव के साथ आए
किसान संगठनों ने बुधवार शाम को संयुक्त प्रेस कांफ्रेन्स की. योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान संगठन सरकार से वार्ता करने के लिए तैयार हैं, खुले मन से वार्ता की मेज पर आने के लिए सरकार का इंतजार कर रहे हैं.
यादव ने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं जिन प्रस्तावों को हमने खारिज कर दिया है उसे नहीं दोहराएं बल्कि लिखित में ठोस प्रस्ताव के साथ आएं. किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि हम गृह मंत्री अमित शाह को पहले ही बता चुके हैं कि प्रदर्शनकारी किसान संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे.
शिव कुमार कक्का ने कहा कि केंद्र को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए.कक्का ने कहा कि सरकार को अपना हठी रवैया छोड़ देना चाहिए और किसानों की मांगों को मान लेना चाहिए. ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नन मोल्ला ने कहा कि सरकार हमें थकाना चाहती है ताकि किसानों का आंदोलन खत्म हो जाए.
सरकार और किसानों के बीच कब-कब बातचीत हुई
सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी. इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे.
सरकार के साथ तीसरे, चौथे और पांचवें दौर की वार्ताएं क्रमश: एक दिसंबर, तीन दिसंबर और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में ही हुईं, जिनमें तीनों मंत्री मौजूद थे. इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के नेताओं को कानूनों में संशोधन समेत अन्य मसलों को लेकर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव नौ दिसंबर को भेजा गया, जिसे उन्होंने नकार दिया दिया था.