गैंग्स के साथ एक्टिव बदमाशों की धरपकड़ कर रही है पुलिस, तीन सौ से ज्यादा युवाओं पर नजर, तीन दिन में 30 गिरफ्तार

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बीकानेर बुलेटिन




अगर कोई युवक सोशल मीडिया पर हथियारों के फोटो डालने या फिर लॉरेंस बिश्नोई गैंग सहित किसी भी गैंग का महीमामंडन करता है तो कुछ ही देर में पुलिस गिरफ्तार करने पहुंच सकती है। पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई युवाओं को पुलिस दबोच चुकी है।

बीकानेर में युवाओं ने इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ग्रुप बना रखे हैं। ये ग्रुप्स हथियारों की मार्केटिंग करने के साथ ही लॉरेंस बिश्नोई गैंग की तारीफ करता है। युवाओं को उनके प्रति प्रेरित करता है। ऐसे ग्रुप्स पर पुलिस ने कड़ी नजर रखी है। इन ग्रुप्स में जुड़ने वाले युवाओं की पूरी साइबर कुंडली तैयार की जा रही है। सोशल मीडिया पर उनकी एक-एक हरकत को नोट किया जा रहा है। हथियारों की फोटो डालने या किसी गैंग का महिमा मंडन करने के साथ ही गिरफ्तारी की जा रही है। गुरुवार को ही ऐसे एक ग्रुप पर पुलिस ने कार्रवाई की। इंस्टाग्राम पर 'डीके ग्रुप बीकानेर' नाम से ग्रुप बना हुआ है। इस ग्रुप के एक सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

सोशल मीडिया हैण्डल इंस्टाग्राम व फेसबुक पर अपराधियों के ग्रुप को फोलो करने व पोस्ट शेयर कर अपलोड करने पर जसरासर के धनराज पुत्र श्रवणराम कुम्हार उम्र 20 साल निवासी बादनु को गिरफ्तार किया गया है। उस पर आरोप है कि सोशल मीडिया पर उन ग्रुप्स को फॉलो किया जा रहा है जो भय फैलाने का काम कर रहे हैं। ये तो एक नाम है जबकि पुलिस ने तीस से ज्यादा युवकों को तीन दिन में गिरफ्तार किया है। इन्हें शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार करके सोशल मीडिया पर ऐसे ग्रुप्स में हिस्सा नहीं लेने की समझाइश भी की गई।

पुलिस अधीक्षक योगेश यादव का कहना है कि सोशल मीडिया पर आपराधिक प्रवृति के लोगों व हथियारों के साथ विडियो व फोटो अपलोड करने व उनकी पोस्ट व रील को शेयर करना कानूनन अपराध है। आमजन में भय व्याप्त होता है तथा क्षेत्र की शांति व कानून व्यवस्था पर असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपी का कृत्य कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। अतः इस प्रवृति पर अंकुश लगाने हेतु जिला पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी रखी जाकर ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जा रही है।

मजबूत है पुलिस साइबर टीम

बीकानेर पुलिस की साइबर टीम काफी मजबूत है। वो सोशल मीडिया पर खास निगरानी रखती है। यहां तक कि फेक नाम के साथ ऐसे कई ग्रुप्स को फॉलो करके उनकी एक-एक रिपोर्ट आला अधिकारियों को दी जाती है। इस वक्त करीब तीन सौ युवाओं के सोशल मीडिया पर पुलिस निगरानी रख रही है।

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