साकार हुई देश की बहुरंगी संस्कृति, सजे-धजे ऊंटों के साथ थिरके देशी-विदेशी ‘पावणे’

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बीकानेर बुलेटिन



बीकानेर कार्निवल के साथ हुई 29वें अंतराष्ट्रीय ऊंट उत्सव की शुरूआत

साकार हुई देश की बहुरंगी संस्कृति, सजे-धजे ऊंटों के साथ थिरके देशी-विदेशी ‘पावणे’

बीकानेर, 13 जनवरी। बीकानेर कार्निवल के साथ शुक्रवार को 29वां अंतराष्ट्रीय ऊंट उत्सव प्रारम्भ हुआ। कार्निवल की शुरूआत लक्ष्मी निवास पैलेस से हुई। संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन और जिला कलक्टर ने रंग-बिरंगे गुब्बारे हवा में उड़ाकर और झंडी दिखाकर इसे रवाना किया। जिला कलक्टर ने उत्सव की शुरूआत की घोषणा की। कार्निवल की शुरूआत मश्क वादन से हुई। इस दौरान पारम्परिक वेशभूषा में सजे-घजे रोबीलों ने राजस्थान की बहुरंगी संस्कृति को साकार किया। बीएसएफ के ऊंटों का दस्ता विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा। इसका नेतृत्व सीआई संजू ने किया। इस दौरान एक हजार मीटर लम्बे साफे का प्रदर्शन किया गया। कार्निवल में टेबूलो थीम के साथ फेस्टिवल के मस्कट ‘फेलिक्स’ ने दर्शकों की वाहवाही लूटी। इस दल में विंटेज कारें और रॉयल इनफील्ड बाइक्स को भी सम्मिलित किया गया। इन पर पारम्परिक वेशभूषा में सज-धज बैठे विदेशी पर्यटकों ने सभी का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। सेठ तोलाराम बाफना स्कूल के विद्यार्थियों ने डोरेमोन, छोटा भीम, नोबिता जैसे कार्टून पात्रों का रूप धर बच्चों का भरपूर मनोरंजन किया। इस कार्निवल में कच्छी घोड़ी नृत्य और मयूर नृत्य की प्रस्तुतियां भी शामिल रहीं। बहरूपियों ने विभिन्न देवताओं, चार्ली चेपलिन, मोटू-पतलू, रावण आदि का रूप धरा। चूरू के श्याम मित्र मंडल ने चंग की थाप के साथ लोकगीतों की सुमधुर स्वरलहरियां बिखेरी। सहरिया जनजाति के नृत्य को भी आमजन ने बेहद पसंद किया। इस दौरान पंजाब का भांगड़ा-गिद्दा, जम्मू का रउफ, गुजरात का राठवा, हरियाणा का घूमर फोग, पुरूलिया का छउ तथा महाराष्ट्र का सौंगी मुखौटा नृत्य के कलाकारों ने देश की विविध संस्कृतियों का प्रदर्शन करते हुए विविधता में एकता का संदेश दिया। कॉर्निवल में राजस्थानी वेशभूषा में सजी महारानी सुदर्शन कॉलेज की छात्राएं, ऊंट सवार रोबीले तथा ऊंट गाडों पर राजस्थानी लोक जीवन का दृश्य देखकर आमजन ने राजस्थान की ग्रामीण संस्कृति को जाना। जम्मू कश्मीर के कलाकारों ने रेगिस्तान के जहाज पर सवार होकर लोक गीत प्रस्तुत किए। डांडिया गैर, रासलीला और महिषासुर मर्दन की झांकी भी कार्निवल में शामिल रही। बच्चों ने समोसा, भुजिया और ओजार का रूप धारण कर आमजन को आकर्षित किया। कार्निवल के साथ मस्ती में झूमते बच्चों ने आमजन को भी थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। कार्निवल यहां से रवाना होकर तीर्थंभ सर्किल, नगर निगम के आगे से जूनागढ़ होते हुए पब्लिक पार्क पहुंची। शहरवासियों ने पलक पावडे़ बिछाकर इसका अभिनंदन किया। युवाओं ने इन यादगार क्षणों को अपने मोबाइल में कैद किया, वहीं कलाकारों के साथ सेल्फी लेने में भी आमजन मशगूल दिखे। ऊंट के ठुमक-ठुमक नृत्य को देखकर आमजन ने दांतों तले अंगुली दबा ली। एक ऊंट ने संभागीय आयुक्त के गले में फूलों की माला पहनाई तो वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर इसका अभिनंदन किया। इस दौरान बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित बुडानिया, जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नित्या के., एडीएम प्रशासन ओमप्रकाश, एडीएम सिटी पंकज शर्मा सहित पर्यटन विभाग के अधिकारी सहित बड़ी संख्या में आमजन मौजूद रहे।

शनिवार को एनआरसीसी और करणी सिंह स्टेडियम में होंगे विभिन्न कार्यक्रम

ऊंट उत्सव के दूसरे दिन प्रातः 10 से दोपहर 3 बजे तक राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में ऊंट नृत्य, ऊंट फर कटिंग, ऊंट सज्जा और ऊंट दौड़ प्रतियोगिताएं होंगी। वहीं दोपहर 4 से सात बजे तक डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में मिस मरवण, मिस्टर बीकाणा प्रतियोगिता के साथ बीकानेर फैशन शो का आयोजन होगा। सायं 7 बजे से डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में फोक नाइट आयोजित होगी। इसमें राजस्थानी लोक कलाकारों सहित विभिन्न प्रदेशों के कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाएंगी।


शहरी क्षेत्र में ऊंट उत्सव की रही धूम

दम्मानी चौक में हुई वीर रस प्रधान अमर सिंह राठौड़ की रम्मत, मोहता चौक में पढ़ा पंचांग

शहर के ऐतिहासिक छतरी के पाटे वाले दम्मानी चौक में वीर रस प्रधान अमर सिंह राठौड़ की रम्मत हुई, तो मोहता चौक में पंचांग पढ़ने की पुरातन परम्परा का निर्वहन हुआ। हर्षोंं के चौक में  होली के अवसर पर खेले जाने वाले डोलची खेल को बड़ी स्क्रीन पर देखकर हर किसी ने बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत को समझने का प्रयास किया। अवसर था बीकानेर बाई नाइट का। अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव के पहले दिन शुक्रवार को शहरी क्षेत्र में पहली बार यह आयोजन हुआ। इस अवसर पर पूरे रूट को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया। संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन तथा जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल का दम्मानी चौक पहुंचने पर वेद मंत्रों के साथ स्वागत किया गया तथा राजस्थानी पगड़ी पहनाकर शहरवासियों ने उनकी अगवानी की। यहां वीर रस प्रधान अमर सिंह राठौड़ की रम्मत का मंचन हुआ। संभागीय आयुक्त ने बीकानेर की संस्कृति को अलहदा बताया तथा कहा कि यहां की जीवंतता पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। जिला कलेक्टर ने कहा कि बीकानेर शहर के लोग उत्सव धर्मी हैं। ऊंट उत्सव के दौरान यहां होने वाले कार्यक्रमों से शहरी परकोटे के अलावा देशी और विदेशी पर्यटकों को यहां की संस्कृति को जानने के अवसर मिलेंगे। बाय नाइट प्रभारी और पर्यटन विकास समिति के सदस्य गोपाल बिस्सा ने बताया कि हर्षों के चौक में बीकानेर का परम्परागत डोलची खेल बड़ी स्क्रीन पर दिखाया गया। मोहता चौक में देशी-विदेशी पर्यटकों ने यहां की रबड़ी का स्वाद चखा। वहीं परम्परागत हस्त लिखित पंचांग का वाचन किया गया। यहां की हवेलियों की कारीगरी देखकर देशी विदेशी सैलानी अभिभूत हुए। आसाणियों के चौके में वेद पाठशाला के विद्यार्थियों ने वेद मंत्र प्रस्तुत किए। स्थानीय कलाकारों द्वारा हवेली संगीत की प्रस्तुति दी गई। ढढ्ढों के चौक में गणगौर घूमर नृत्य प्रस्तुत किया गया। वहीं कोचरों के चौक में संगीत संध्या हुई। यहां फूड जोन बनाया गया। जहां बीकानेरी भुजिया, जलेबी और घेवर बनाया जाएगा तथा आमजन इनका स्वाद चखा। इस दौरान महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ. बिठ्ठल बिस्सा, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष राजेंद्र जोशी, समाजसेवी रूप किशोर व्यास सहित पर्यटन विभाग के अधिकारी और बड़ी संख्या में आम जन मौजूद रहे।



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