बीकानेर। नशीली दवाओं के मामले में शिकायतकर्ता से दो करोड़ की रिश्वत मांग कर परेशान करने के मामले में गिरफ्तार एसओजी की एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को मंगलवार को अजमेर एसीबी कोर्ट में पेश किया गया। जयपुर एसीबी की ओर से 4 दिन का रिमांड मांगा गया था। जज ने 3 दिन का रिमांड दिया। अब जयपुर एसीबी रिमांड के दौरान मित्तल से बर्खास्त कॉन्स्टेबल सहित अन्य बरामदगी को लेकर पूछताछ करेगी।
एसओजी में दो करोड़ के चौंकाने वाले रिश्वतकांड को लेकर एसीबी की गिरफ्त में आयी एएसपी दिव्या मित्तल दो साल पहले बीकानेर में तहलका मचा चुकी है। जानकारी में रहे कि कोरोना संकटकाल के दौरान बीकानेर में उजागर हुए रेमेडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी के बहुचर्चित मामले की जांच अजमेर में तैनात रही एसओजी की एएसपी दिव्या मित्तल को सौंपी गई थी। जांच के सिलसिले में करीब तीन दिन तक सर्किट हाउस में कैंप लगाये बैठी रही एएसपी दिव्या मित्तल का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया था जब उन्होने रेमेडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के केस में नामजद मित्तल ड्रग्स ऐजेंसी और मित्तल फार्मा के तीन दवा कारोबारियों को गिरफ्तार कर अजमेर ले गई जबकि जिंदल मेडिकोज, राजेन्द्र मेडिकोज, तंवर मेडिकोज और गौरव एजेंसी के संचालकों को सर्किट हाउस से हिरासत में लेने के बाद मौके पर छोड़ दिया इससे पहले मामले की जांच में एएसपी दिव्या मित्तल ने मीडिया के समक्ष बीकानेर में रेमेडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे करते हुए कई नामी डॉक्टर्स और प्राईवेट होस्पीटल संचालकों के नाम भी उजागर किये थे। उन्होने खुलासा किया था कि कोरोना आपदा में बीकानेर शहर के कोटे में मिले रेमडेसिवीर इंजेक्शन श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनूं, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, भिवानी व कोलकाता तक बेचते रहे। न सिर्फ स्टॉकिस्ट बल्कि प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक और डॉक्टर्स भी इस कालाबाजारी का हिस्सा बनते गए, जिन प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना इलाज के लिए अधिकृत किया गया है, उनके नाम से बिल मिले तो शहर के जिन प्राइवेट अस्पताल को कोरोना इलाज की स्वीकृति नहीं है, वहां भी जमकर रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाए गए। जांच कार्यवाही के बाद करीब महिनेभर सुर्खियों में रहा बीकानेर का यह मामला अचानक ठंडा पड़ गया, जिसे लेकर एएसपी दिव्या मित्तल की जांच कार्यवाही को लेकर कई तरह की चर्चाएं सामने आई थी।