कैप्टन प्रताप सिंह मेहता ने 1000 वर्षों के अपने पूर्वजों के शौर्य एवं शास्त्रोपजीवि कार्यों को ‘‘गन्स एण्ड ग्लोरी ऑफ मेवाड़’’ नामक पुस्तक में उजागर किया
- डॉ. जी. एल. मेनारिया
भामाशाह की पुत्री ‘‘जगीशा बाई’’ का वंशधर उदयपुर स्थित मेहता मालदास गली स्थित भूतमहल के निकट हवेली में रहता है। उसी परिवार के कैप्टन प्रताप सिंह मेहता ने अपनी पुस्तक ‘‘गन्स एण्ड ग्लोरी ऑफ मेवाड़’’ में मेवाड़ राज्य के शौर्य एवं प्रशासन के साथ-साथ कला, साहित्य के सृजन में अहम भूमिका अदा करने वाले जैन परिवारों (बोलिया, मेहता, कोठारी) का उल्लेख किया। ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्यों को ग्लोबल हिस्ट्री फोरम एवं देलवाड़ा के बलिदानी पन्नाधाय शिक्षक महाविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में इतिहासकारों, प्रबुद्ध चिंतकों एवं शोधार्थियों के साथ शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए तथ्यों की जानकारी दी।
प्रारम्भ में ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक सचिव डॉ. अजातशत्रु सिंह शिवरती एवं पन्नाधाय शिक्षक महाविद्यालय के संचालक श्री रोशनलाल महात्मा ने आमन्त्रित विद्वानों के साथ कैप्टन प्रताप सिंह मेहता का सम्मान किया। जिसमें ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. जी. एल. मेनारिया, डॉ. गिरीशनाथ माथुर, बीकानेर एमजीएसयू के इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मेघना शर्मा, डॉ. राजेन्द्रनाथ पुरोहित, डॉ. जे. के. ओझा, डॉ. रेखा महात्मा, शोधार्थी रामसिंह राठौड़ इत्यादि उपस्थित थे।
इतिहासकार डॉ. जी. एल. मेनारिया ने इस अवसर पर बताया कि मेवाड़ के इतिहास में रावल जैत्रसिंह के समय दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के मेवाड़ की राजधानी नागदा पर आक्रमण के दौरान हुए निर्णायक युद्ध में जो कि दिवेर के घाटे से लगाकर गोगुन्दा के भूताला गाँव तक लड़ा गया। जिसमें देलवाड़ा के तत्कालीन प्रमुख जैन एवं नागदा, चीरवा एवं रामा गाँव के ब्राह्मणों और भील इत्यादि लोगों ने अहम भूमिका अदा की।
डॉ. मेनारिया ने यह भी बताया कि नागदा-भूताला युद्धोपरान्त यह बच्छावत परिवार बीकानेर में रहा।
वक्ता के रूप में बोलते हुये डॉ॰ मेघना शर्मा ने कहा कि युद्ध के बाद मेवाड़ के देलवाड़ा निवासी जैन (बच्छावत) परिवार बीकानेर राज्य में सदियों तक सैन्य एवं प्रशासनिक सेवाओं में अग्रणी रहा। इस वंश के कई मंत्री व योद्धा हुए हैं। स्मरण रहे कि दानवीर, स्वामीभक्त, भामाशाह की पुत्री ‘‘जगीशा बाई’’ का विवाह बीकानेर के प्रसिद्ध वच्छावत परिवार के कर्मचन्द्र के साथ हुआ था। ‘‘उदयपुर के मेहताओं की तवारिख’’ में देलवाड़ा से बीकानेर गए बच्छावत मेहता परिवार जिसने पश्चिमी भारत में जांगल प्रदेश में राव बीका के मंत्री रहते बीकानेर राज्य की स्थापना से लेकर अकबर के समय बीकानेर के राव कल्याण व रायसिंह के समय तक सैन्य व प्रशासनिक पदों पर सेवा स्वामीभक्ति से कार्य किया। इसी कारण मेवाड़ राज्य में महाराणा प्रताप के सहयोगी, स्वामीभक्त, दानवीर भामाशाह ने अपनी एक मात्र पुत्री का विवाह बीकानेर के बच्छावत परिवार के कर्मचन्द के साथ कराया था।
डॉ. राजेन्द्रनाथ पुरोहित ने बताया कि बीकानेर की राजनैतिक व दरबारी षड़यन्त्रों का शिकार होने से भामाशाह की पुत्री यानि कर्मचन्द्र की पत्नि जगीशा बाई अपने पुत्र भाण सहित उदयपुर आ गई। वर्तमान में मालदास जी मेहता के नाम से मार्ग में भूतमहल के निकट माण्डलगढ़ के प्रसिद्ध किलेदार मेहता परिवार का इतिहास - भामाशाह व उनकी दौहित्र क्रमशः भाण, जीवराज, लालचन्द व पृथ्वीराज मेहता हुए। महाराणा अरिसिंह से महाराणा भूपालसिंह तक इस ऐतिहासिक घराने में अगरचन्द जिसे माण्डलगढ़ का किलेदार बनाया, इसने मेवाड़ पर मराठा आक्रमणों के संक्रमण काल में संकट मोचकों में तत्कालीन प्रधानमंत्री अमरचन्द बड़वा व मोतीराम, मोजीराम बोलिया प्रमुख सैन्य प्रशासनिक कार्यों के नीति निर्माता रहे। कालान्तर में भामाशाह के इसी वंशज परिवार में मेहता पन्ना लाल हुए जिन्होंने महाराणा सज्जनसिंह व फतहसिंह के शासन काल में प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. अजातशत्रु सिंह शिवरती ने बताया कि कैप्टन प्रताप सिंह मेहता 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्धों में भारतीय नौ सेना में रहते हुए लड़े। आपने अपने पूर्वजों के शस्त्र व शास्त्रों के इतिहास को उजागर कर शोध में नयी दिशा दी।
अन्त में पन्नाधाय शिक्षक महाविद्यालय के संचालक मण्डल के सदस्य एवं देलवाड़ा के प्रबुद्ध शिक्षाविद् श्री हरकलाल पामेचा ने सभी का आभार व्यक्त किया। व्याख्यान का संचालन महाविद्यालय के निदेशक श्री रोशनलाल महात्मा ने किया।