राजस्थान की 1.35 करोड़ महिलाओं को फ्री स्मार्टफोन नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत से दिए जाएंगे। हैंडसेट जियो, सैमसंग और नोकिया कंपनी के होंगे। सरकारी सिम पहले से ही एक्टिवेट होगा और दूसरी सिम नहीं चला सकेंगे। उसका स्लॉट बंद रहेगा। इन स्मार्टफोन की कीमत 9 हजार रुपए के आसपास बताई जा रही है।
गहलोत सरकार ने इस योजना के लिए 12 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा है। गांवों में पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर स्मार्टफोन बांटे जाएंगे। शहरों में यही कैंप वार्डों में लगाए जाएंगे।
तीन साल फ्री इंटरनेट की सुविधा के साथ स्मार्टफोन सप्लाई करने के टेंडर में तीन कंपनियों को काम दिया गया है। जियो, एयरटेल और बीएसएनएल इस योजना में स्मार्टफोन सप्लाई करेंगे। एक कंपनी एक साथ 1 करोड़ 35 लाख हैंडसेट सप्लाई नहीं कर सकती थीं, इसलिए तीन कंपनियों को यह काम दिया गया है।
कस्टमाइज्ड हैंडसेट मिलेंगे, सिम नहीं बदल सकेंगे
स्मार्टफोन के साथ 3 साल तक फ्री इंटरनेट और अनलिमिटेड फ्री कॉलिंग की सुविधा मिलेगी। ये कस्टमाइज्ड हैंडसेट होंगे, जिनमें सरकार की दी हुई सिम ही काम करेगी, दूसरा सिम स्लॉट बंद रहेगा। दूसरी सिम इस फोन में नहीं डाल सकेंगे।
कैंप में मोबाइल कंपनियों के कर्मचारी रहेंगे, सिम एक्टिवेट करके स्मार्ट फोन दिए जाएंगे
महिलाओं को कैंपों में स्टॉल लगाकर स्मार्ट फोन दिए जाएंगे। कैंपों में एयरटेल, जियो और बीएसएनएल के कर्मचारी रहेंगे जो स्मार्टफोन में सिम एक्टिवेट करके लाभार्थी महिला को देंगे। इससे पहले केवाईसी के दस्तावेज लेकर वहीं ऑनलाइन वैरिफिकेशन भी किया जाएगा।
मुफ्त मिला स्मार्टफोन बेच नहीं सकेंगे
महिलाओं को दिए जाने वाले मुफ्त स्मार्टफोन को लाभार्थी या उसका परिवार ही यूज कर सकेगा। इस योजना में मिले स्मार्टफोन को बेचने पर रोक रहेगी। इसीलिए इसमें सरकार की दी हुई सिम के अलावा दूसरी सिम काम नहीं करेगी। मुफ्त स्मार्टफोन में वहीं सिम काम करेगी, जो सरकार एक्टिवेट करके देगी, दूसरी सिम काम नहीं करेगी।
चुनाव से पहले सभी 1.35 करोड़ महिलाओं तक स्मार्टफोन पहुंचाने पर जोर
गहलोत सरकार का फोकस अगले साल विधानसभा चुनाव तक चिरंजीवी योजना में शामिल परिवार की मुखिया महिला तक स्मार्टफोन पहुंचाने का है। सरकार इसे डिजिटल लिटरेसी की योजना बता रही है,हालांकि चुनावी साल में इस योजना का मकसद सियासी बताया जा रहा है।
मुफ्त स्मार्टफोन के जरिए कांग्रेस सरकार का मकसद महिलाओं के वोट लेना है। बीजेपी भी इसी तरह का लाभार्थी फाॅर्मूला चुनावों में अपनाती रही है। लाभार्थी फाॅर्मूले के जरिए अब कांग्रेस भी वोटों पर फोकस कर रही है।