बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना) ऑनलाइन ठगों ने ऐसा तांडव मचा रखा है कि डिजिटल इंडिया की बात अब बेमानी लगने लगी है। फेसबुक क्लोनिंग के माध्यम से ठगी रुकी नहीं थी कि अब वाट्सएप पर भी ठग गैंग जाग चुका है। ताज़ा मामला सदर थाना क्षेत्र निवासी संजय शर्मा से जुड़ा है। किसी ठग ने संजय के मोबाइल का डेटा चुरा लिया। उनकी कॉन्टेक्ट लिस्ट सहित उनके फोटो आदि भी ठग के पास किसी तरह गए हैं। शुक्रवार को पूरे दिन संजय के नाम से उसके दोस्तों से पैसे मांगे गए। मोबाइल नंबर 8133817272 नंबर से बने वाट्सएप पर संजय की डीपी लगी थी। उसका नाम भी लिखा था। ठग ने वाट्सएप मैसेज कर संजय के नाम से 10-15 हजार रूपए मांगे। कहा कि वह अस्पताल में भर्ती हैं। सबूत के तौर पर अस्पताल में भर्ती होने का एक फोटो भी भेजा।
संजय का पड़ोसी धर्मेंद्र तो इस ठग की चपेट में आ ही गया। अज्ञात नंबर देखकर भी उसने दस हजार रूपए ठग द्वारा भेजे के क्यू आर कोड पर भेज दिए। फोटो जर्नलिस्ट दिनेश गुप्ता के पास भी यही मैसेज आया। अस्पताल में भर्ती होने का फोटो भेजा गया। गुप्ता ने कहा कि वह अस्पताल ही आ जाएंगे, बताओ कौनसी अस्पताल में भर्ती हो। इस पर ठग ने कहा, 'भरोसा नहीं है क्या'। यहीं से गुप्ता को शक हुआ। एक अन्य कॉमन फ्रेंड से बात की गई। इस पर संजय के नंबर मिले। संजय से बात करने पर कहानी स्पष्ट हो गई, इस तरह समझदारी की वजह से गुप्ता ठगी का शिकार होने से बच गए।
संजय के अनुसार अस्पताल का जो फोटो ठग द्वारा भेजा जा रहा है, वह कुछ समय पूर्व का है। असल में उन्होंने एसबीआई की लाइफ इंश्योरेंस करवाई थी। जिसके तहत कुछ मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट्स भी पेश करनी थी। इसलिए उन्होंने एक्स रे गली के एक लैब में जांच करवाई। यह फोटो उसी लैब का है।
आख़िर कैसे गया ठग के पास फोटो: संजय के अनुसार यह फोटो उन्होंने कहीं सोशल मीडिया पर तो अपलोड नहीं किया था। फोटो उनके मोबाइल की गैलरी में था, इसके अतिरिक्त इंश्योरेंस वालों को दिया गया था। ऐसे में ठग के पास यह फोटो तथा मोबाइल डायरेक्टरी कैसे पहुंची, यह जांच का विषय है।
-क्या बैंक, इंश्योरेंस व लोन कंपनियां कर रही डेटा लीक: बैंक, इंश्योरेंस व लोन कंपनियों के पास ग्राहकों के अधिकतम डेटा उपलब्ध होते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इन संस्थाओं के द्वारा ग्राहकों के डेटा बेचे जा रहे हैं। पुलिस को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए इसकी तह तक जाना चाहिए।
-क्या मोबाइल नहीं सुरक्षित:- फेसबुक के बाद अब वाट्सएप से भी ठगी हो रही है, मगर ठगों द्वारा उपयोग में लिए जा रहे वाट्सएप नंबर उनके स्वयं के या फर्जी होते हैं। संजय के मामले में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या ठग ने उसका मोबाइल हैक कर लिया था? मोबाइल की कॉन्टेक्ट डायरेक्टरी तथा मोबाइल गैलरी का फोटो ठगों के पास होना खतरनाक है। ऐसे में डिजिटल सुरक्षा खतरे में है।
सिस्टम को इस पर काम करते हुए तह तक जाना चाहिए। देखें फोटो