अब तक स्कूलों में तालेबंदी हो रही थी लेकिन अब सरकारी अस्पताल पर भी लोग ताले लगा रहे हैं। बीकानेर के झझू गांव में स्थित सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ग्रामीणों ने शुक्रवार को ताला लगा दिया। आरोप है कि एक कम्प्यूटर ऑपरेटर के भरोसे अस्पताल चल रहा है। न डॉक्टर समय पर आ रहे हैं और न नर्सिंग कर्मचारी। ऐसे अस्पताल के ताले खोलने के कोई मायने नहीं है।
श्रीकोलायत क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झझु में चिकित्सक व नर्सिंग कर्मचारियों द्वारा लगातार ड्यूटी पर समय पर नहीं आने के विरोध में सरपंच घमुराम नायक के नेतृत्व में ग्रामीणों ने प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर तालाबंदी कर दी। इस दौरान ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। सरपंच घमुराम नायक ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर नहीं आते। कभी कभी आकर हाजिरी लगाकर वापस लौट जाते हैं। नर्सिंग कर्मचारी तक अस्पताल में नहीं रहते। ऐसे में एक कंप्यूटर ऑपरेटर के भरोसे सारा काम चल रहा है। महज खानापूर्ति कर रहे इस अस्पताल का कोई उपयोग नहीं है। ग्रामीणों को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए बीकानेर जाना पड़ता है या फिर प्राइवेट डॉक्टर को दिखाना होता है। दोनों ही स्थिति में आर्थिक मार पड़ती है।
शुक्रवार को सरपंच पीएचसी का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे। तब भी ग्रामीणों की शिकायत सही मिली, डॉक्टर और नर्सिंगकर्मी दोनों ही उपस्थित नहीं थे। सरपंच ने बताया कि अचानक एक मरीज लेकर जब मै अस्पताल पहुंचा तो कंप्यूटर ऑपरेटर के अलावा कोई भी कर्मचारी नहीं मिला । जिस पर ग्रामीणों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन भी किया और नाराज होकर ताला भी लगा दिया । जिसकी सूचना उपखंड स्तरीय अधिकारी व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दे दी गई । सूचना मिलने पर एसडीएम प्रदीप कुमार चाहर , बीसीएमओ डॉ सुनील जैन और डॉक्टर ताहिर मोहम्मद झझु अस्पताल परिसर में पहुंचे और वार्ता के बाद तालाबंदी खोल दी गई।
अन्य गांवों में भी ऐसे हालात
न सिर्फ झझु बल्कि आसपास के अन्य गांवों में भी ऐसे ही हालात है। जहां डॉक्टर के बजाय कम्प्यूटर ऑपरेटर या फिर एकाउंटेंट ही व्यवस्था संभाले हुए हैं। अस्पताल से लोग बीकानेर आते हैं। कई बार तहसील मुख्यालय पर प्राइवेट डॉक्टर से चेकअप करवाते है।