सर्वाधिक ऑनलाइन सदस्य बनाकर ठोका है मजबूत दावा
प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के संगठन के चुनाव शीघ्र ही होने वाले हैं। ऐसे में शहर से लेकर ब्लॉक अध्यक्ष तक के दावेदार अपनी-अपनी जोर आजमाइश कर रहे हैं। संगठन चुनाव के लिए नियुक्त डीआरओ भी अपना फीडबैक लेकर जा चुके हैं और अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम के कयास लगाने लगाए जाने शुरू हो गए हैं। ऐसे में यह प्रश्न उठना भी लाजमी है कि आखिर कांग्रेस का नया शहर अध्यक्ष कौन होगा? तीसरी बार पार्टी की कमान संभाल रहे यशपाल गहलोत ने कहने को तो अपना इस्तीफा सौंप दिया है, लेकिन यह मंजूर होगा या नहीं या यशपाल को एक बार फिर संगठन की जिम्मेदारी दी जाएगी! यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन डीआरओ के सामने 'डॉक्टर का बेटा डॉक्टर हो सकता है तो कल्ला का भतीजा अध्यक्ष नहीं क्यों नहीं' इस बयान से राजनीतिक हलकों में एक नई बहस छिड़ गई है कि आखिर अनिल कल्ला के समर्थकों को ऐसी बात क्यों करनी पड़ी? क्या अनिल कल्ला का शहर अध्यक्ष बन पाना संभव नहीं है और यदि नहीं है तो अगला दावेदार कौन हो सकता है? यह प्रश्न भी जायज है। ऐसे में सबसे बड़ा नाम राजकुमार किराडू का आता है। किराडू पिछले ढाई दशकों से पार्टी की मजबूती के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन उनके मंत्री कल्ला के साथ बनते-बिगड़ते संबंध भी जगजाहिर हो हैं और सत्ता के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति कभी नहीं चाहेगा कि उसके सामने एक ऐसा दावेदार आए, जो भविष्य में उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। ऐसे में यशपाल अनिल कल्ला और राजकुमार किराडू के बाद सबसे मजबूत नाम सामने आते हैं, वह हैं अरुण व्यास और ऋषि कुमार व्यास। अरुण संगठन में सक्रिय हैं और उन्हें युवक कांग्रेस में दायित्व भी मिले हुए हैं। ऐसे में शहर जिला अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ा नाम उभर कर आता है, ऋषि कुमार व्यास का। ऋषि सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर पिछले एक दशक से अधिक समय पर कांग्रेस की रीति नीति का प्रचार कर रहा है और कांग्रेस तथा अशोक गहलोत के प्रति उनके परिवार की निष्ठा भी जगजाहिर है। वर्तमान परिस्थितियों में देखे तो मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी लोकेश शर्मा की कोर टीम के मेंबर ऋषि कुमार शहर जिला अध्यक्ष बन जाते हैं, तो चौंकाने वाली बात नहीं होगी, क्योंकि लगभग एक दशक पहले जब यशपाल गहलोत को पार्टी की कमान सौंपी गई थी, तब यशपाल भी इतने ही युवा थे। अगर डीआरओ की हाल ही में हुई बैठक की बात करें, तो डीआरओ त्रिवेदी ने स्पष्ट कर दिया था कि सदस्यता अभियान में ऑनलाइन सदस्य बनाने वाले कांग्रेसी को सबसे अधिक तवज्जो दी जाएगी। ऐसे में भी ऋषि का पलड़ा भारी रहता है और इन सभी परिस्थितियों में अगर ऋषि के चौकाने वाले नाम पर मोहर लग जाती है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।