बीकानेर। बीछवाल और शोभासर जलाशय में नहर का पानी आ गया, लेकिन शुक्रवार को साफ पानी की सप्लाई करना पीएचईडी के लिए बड़ी चुनौती है। जिन इलाकों में जलापूर्ति होगी वहां के लोगों को सावधानी रखनी होगी। हालांकि पीएचईडी साफ पानी देने का दावा कर रहा है, लेकिन हर साल नहरबंदी के बाद पानी की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि या तो हफ्ते भर उस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल न करें और यदि करना भी हो तो उसे अच्छी तरह उबालने के बाद ही पीने के काम लें। बीते 1 महीने से शहरवासी शोभासर और बीछवाल जलाशय में जमा पानी पी रहे थे।
शुक्रवार से नहर से आने वाले पानी की सप्लाई की जाएगी क्योंकि बीछवाल जलाशय गुरुवार को पूरी तरह खाली हो गया। इसलिए किसी भी सूरत में शुक्रवार से पानी सप्लाई करना बेहद जरूरी हो गया है। उधर, नहर से जलाशयों में पानी तो पहुंच गया लेकिन घरों में इंतजार है। एक दिन छोडक़र जलापूर्ति होने से शहरवासियों का धैर्य जवाब दे चुका है। शहर के करीब 2 दर्जन इलाकों में पानी की भारी किल्लत है। जैसे ही जलदाय विभाग का टैंकर सार्वजनिक स्थल पर पहुंचता है, वहां पानी भरने वालों की लंबी कतार लग जाती है। गुरुवार को शाम तक शहर के कई इलाकों में टैंकर चक्कर लगाते देखे गए।
पीएचईडी का कहना है कि कटौती बंद होने का फैसला शनिवार को होगा। यदि फिल्टर सही रहे और पानी साफ हुआ तो रविवार से नियमित सप्लाई हो सकती है। गुरुवार को नहर से आए गंदे पानी को पहले चार-पांच घंटे खेतों में छोड़ दिया ताकि कचरा व अन्य गंदगी पानी के साथ बाहर हो जाए। फिर फिटकरी से पानी को प्रोटेक्ट किया ताकि मिट्टी व दूसरे पार्टिकल नीचे बैठ जाएं। इसके बाद पानी को फिल्टर प्लांट में लिया गया। फिल्टर प्लांट से पानी छनकर बाहर आया। काफी हद तक साफ नजर आया। उसके बाद उसमें क्लोरीन मिलाई गई ताकि सभी हानिकारक तत्व खत्म हो जाएं। पीएचईडी की टीम ने बताया कि उसके बाद इस पानी को सप्लाई के लिए टंकियों में दिया जाएगा। दावा है कि प्रत्येक टंकी में फिर ब्लीचिंग मिलाई जाएगी ताकि रास्ते में किसी तरह की गंदगी मिल भी जाए तो वह ब्लीचिंग से खत्म हो जाए।
हांफता सिस्टम: कंवरसेन लिफ्ट के पांच स्टेशनों के 39 पंप 40 साल पुराने, नतीजा 36 घंटे बाद बीकानेर पहुंचा पानी इंदिरा गांधी नहर की कंवरसेन लिफ्ट के पांच स्टेशनों के 39 पंप अब हांफने लगे हैं। यही वजह है कि सोमवार बिरधवाल हैड से बीकानेर के लिए छोड़ा गया पानी गुरुवार को पहुंचा जबकि इस पानी को बुधवार की सुबह ही पहुंच जाना चाहिए था। इंदिरा गांधी नहर प्रशासन ने 2 साल पहले सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था। उसमें कहा गया था कि कंवरसेन लिफ्ट का संचालन ठेके पर दे दिया जाए क्योंकि यहां प्रतिवर्ष करीब 40 करोड़ रुपए सिर्फ बिजली का बिल आता है। ऊपर से पंप बदलने के लिए भी सरकार पैसा नहीं देती। एक पंप करोड़ों रुपए का आता है। इतना खर्च सरकार करने की स्थिति में नहीं है। सिर्फ बिल चुकाना ही मुश्किल हो रहा है। 2 साल पहले जब प्रस्ताव ठेके पर देने का मामला आगे बढ़ा तो टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। इस बीच बीकानेर शहर की चिंता ये है कि अगर पंप कभी जवाब दे गए तो आधा शहर प्यासा ही रहेगा। बीते 2 साल से इंदिरा गांधी नहर प्रशासन कंवरसेन लिफ्ट को दुरुस्त करने में जुटा है। उसका सबसे सुगम रास्ता नहर का ठेके पर देना था। क्योंकि ठेका लेने वाली कंपनी सबसे पंप बदलती, इससे उनका बिजली खर्च कम हो जाता और पानी न पहुंचने का जो संकट कभी भी खड़ा हो सकता है, उससे छुटकारा मिल जाता।