CBI दफ्तर से 6 घंटे बाद निकलीं सीएम ममता बनर्जी,तृणमूल कांग्रेस सरकार के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया

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बीकानेर बुलेटिन




नारदा स्टिंग केस में अपने दो मंत्रियों समेत पार्टी के चार नेताओं की सोमवार को गिरफ्तारी के बाद निजाम पैलेस सीबीआई दफ्तर पहुंचीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करीब छह घंटे बाद वहां से बाहर निकलीं. सीबीआई ऑफिस से निकलते हुए ममता ने कहा- कोर्ट इसका फैसला करेगा. सीबीआई ने टीएमसी सरकार के दो मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हाकिम के साथ विधायक मदन मित्रा और पूर्व कोलकाता मेयर शोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया है.


अपने पार्टी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद दोपहर को सीबीआई दफ्तर पहुंची ममता ने कहा कि उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए. इसके बाद टीएमसी समर्थकों ने सीबीआई दफ्तर के बाहर जमकर हंगामा किया और पत्थरबाजी की. गौरतलब है कि सीबीआई ने चारों नेताओं को नारदा घोटाले में गिरफ्तार किया गया. नारदा टेप साल 2016 में जारी किए गए थे.

सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके बाद टीएमसी समर्थकों ने निजाम पैलेस के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन किया. स्थिति को देखते हुए सीबीआई ने अतिरिक्त केन्द्रीय बलों की मांग की क्योंकि प्रदर्शनकारी निजाम पैलेस के बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. समर्थक फौरन टीएमसी नेताओं की रिहाई की मांग कर रहे थे. साथ ही, वे सभी प्रदर्शनकारी बीजेपी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ नारे लगा रहे थे.


मंत्रियों की गिरफ्तारी से भड़के अभिषेक बनर्जी


टीएमसी सांसद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कहा कि वे इस लड़ाई को कानूनी रूप से लड़ेंगे. अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट करते हुए कहा- "मैं सभी लोगों से यह अपील करता हूं कि वे कानून का पालन करें और बंगाल व बंगाल की जनता के दीर्घकालिन हितों के ले लॉकडाउन नियमों के उल्लंघ से दूर रहें." अभिषेक बनर्जी ने आगे कहा- हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम इस लड़ाई को कानूनी रूप से लड़ेंगे.


अमित मित्रा बोले- लोकतांत्रिक नियमों का सरासर उल्लंघन


इधर, ममता सरकार में मंत्री डॉक्टर अमित मित्रा ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में कार्रवाई को लेकर निशाना साधते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन करार दिया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- “मोदी और शाह के नियंत्रण वाली सीबाआई की तरफ से लोकतांत्रिक नियमों और संघीय राजनीति का उल्लंघन है. प्रोटोकॉल के अनुसार, विधानसभा स्पीकर की अनुमति के बिना बंगाल के 2 मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया है. बंगाल की जनता की तरफ से खारिज किए जाने के बाद यह राजनीतिक बदला है. 

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