कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देश में कई महीनों से वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। करोड़ों लोगों को टीका लग भी चुका है, लेकिन अभी भी दूर-दराज इलाकों में ऐसे लोग भी हैं, जिनके मन में वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल हैं। टीका बनाने वाले वैज्ञानिक भी पहले ही साफ कर चुके हैं कि वैक्सीन्स पूरी तरह से सुरक्षित हैं। अब एक स्टडी में सामने आई है, जिसको पढ़कर वैक्सीन के महत्व का पता चलता है। दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने स्टडी के हवाले से बताया है कि जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई है, उसमें से 97.38 फीसदी लोगों का कोरोना से बचाव होता है, जबकि सिर्फ 0.06 फीसदी लोगों को अस्पताल तक जाने की जरूरत पड़ती है।
अस्पताल ने हेल्थकेयर वर्कर्स पर की गई स्टडी के परिणाम जारी किए हैं। इस स्टडी के जरिए से यह पता लगाने की कोशिश की गई कि वैक्सीन लेने के बाद कितने फीसदी लोगों को संक्रमण हुआ है। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में की गई इस स्टडी में शामिल हेल्थकेयर वर्कर्स ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई थी। स्टडी के निष्कर्ष एक पीयर-रिव्यूड मेडिकल जर्नल में प्रकाशन के लिए विचाराधीन हैं। अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा, "भारत में हाल ही में चल रहे टीकाकरण अभियान के बीच कोरोना की दूसरी लहर में मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है। टीकाकरण के बाद संक्रमण की खबरें आई हैं, जिसे ब्रेकथ्रू संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है। ये संक्रमण कुछ व्यक्तियों में आंशिक और पूर्ण टीकाकरण के बाद भी हो सकते हैं।"
डॉ. सिब्बल, जो पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के एक वरिष्ठ सलाहकार भी हैं, ने कहा, "स्टडी से संकेत मिलता है कि कोरोना टीकाकरण 100 फीसदी इम्युनिटी प्रदान नहीं करता है। पूर्ण टीकाकरण के बाद भी यह गंभीर स्थिति होने से बचाता है। हमारी स्टडी से पता चला है कि 97.38 फीसदी टीकाकरण करने वालों को संक्रमण नहीं हुआ और अस्पताल में भर्ती होने की दर केवल 0.06 प्रतिशत थी। स्टडी के नतीजे यह भी बताते हैं कि ब्रेक-थ्रू संक्रमण केवल एक छोटे प्रतिशत में होता है और ये मुख्य रूप से मामूली संक्रमण होते हैं जो गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनते। वैक्सीनेशन के बाद आईसीयू वाली स्थिति और मृत्यु भी नहीं हुई। यह स्टडी कोरोना वैक्सीनेशन को मजबूत ही बनाती है।''
स्टडी में 3,235 हेल्थकेयर वर्कर्स को शामिल किया गया। कुल में से सिर्फ 85 को कोरोना संक्रमण हुआ। इसमें से 65 ही पूरी तरह से वैक्सीनेटेड थे। 20 को सिर्फ एक ही डोज लगाई गई थी।। वहीं, महिलाएं ज्यादा इससे प्रभावित हुई हैं।
ऑर्थोपेडिक्स के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राजू वैश्य ने कहा कि ऐसी कई वजह है, जो ब्रेक-थ्रू संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं और उसमें मानव व्यवहार भी शामिल है। डॉ. वैश्य, जो स्टडी के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, ने कहा कि मानव शरीर में पर्याप्त इम्युनिटी विकसित करने के लिए कोरोना वैक्सीन को समय लगता है।