कभी कंटेनमेंट जोन बनाकर लगाई थी कोरोना पर लगाम, अब ऑक्सीजन सप्लाई में भी मिसाल बना

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बीकानेर बुलेटिन




पिछले साल जब कोरोना वायरस ने भारत में दस्तक दी थी, उस समय राजस्थान के भीलवाड़ा ने महामारी पर जिस सख्ती से काबू पाया उसकी तारीफ हर तरफ हुई। अब राजस्थान का यही भीलवाड़ा एक बार फिर से चर्चा में है। दरअसल, जब पूरे देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे समय में भी भीलवाड़ा 8 हजार मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है। इस संकट की स्थिति में भी इतनी बढ़िया तरीके से ऑक्सीजन प्रबंधन को लेकर भीलवाड़ा की हर तरफ वाह-वाही हो रही है।

भीलवाड़ा के महात्मा गांधी जिला अस्पताल में 430 बेड हैं, जिनमें से 300 बेड को कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। अस्पताल में बेड कम पड़ गए हैं लेकिन ऑक्सीजन सप्लाई नहीं। अस्पताल के कॉरिडोर तक में मरीज भर्ती हो रहे हैं और उन्हें निर्बाध ऑक्सीजन मिल रही है।

खबर के मुताबिक, अस्पताल के डॉक्टर अरुण गौड़ का कहना है कि राजस्थान सरकार ने 4 महीने पहले ही ऑक्सीजन प्लांट बनवाया था, क्योंकि हमें ऐसे हालात पैदा होने का अंदेशा था, जिससे हमने उन्हें अवगत भी कराया था। उन्होंने कहा कि उनका खुद का ऑक्सीजन प्लांट 100 सिलेंडर का उत्पादन हर दिन करता है। इसके अलावा राज्य के दूसरे ऑक्सीजन प्लांट से भी सिलेंडर मिलते हैं। इस लिए वहां मरीजों के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। बता दें कि भीलवाड़ा में बीते 24 घंटों में 535 नए मामले मिले हैं। 

राजस्थान का भीलवाड़ा बना था मॉडल

बीते साल मार्च में राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना के मरीजों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ने लगी। यहां 27 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। लेकिन अप्रैल तक यहां एक भी कोरोना मरीज नहीं था। मार्च के तीसरे सप्ताह में यहां 27 कोरोना मरीज मिले थे। करीब 20 दिन के बेहतर प्रबंधन के बाद यह कोरोना से मुक्त हो गया था। जिले के कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने तेजी दिखाते हुए सबसे पहले जिले की सीमाएं सील कर दी थीं। पहले से लागू लॉकडाउन को यहां काफी सख्त कर दिया गया। जरूरी सेवाओं के लिए खुलने वाली दुकानों को भी बंद कर दिया गया। किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई। 

मेडिकल टीम के अलावा शहर में किसी के लिए प्रवेश मुमकिन नहीं था। राशन और दूध जैसी सामग्री घर-घर पहुंचाने का इतंजाम किया गया। 1500 लोगों को आइसोलेट किया गया और इनके घर के बाहर जवान तैनात कर दिए गए। घर-घर सर्वे और लाखों लोगों की स्क्रीनिंग की गई। क्वारंटाइन के लिए जिले के सभी होटल, गेस्ट हाउस, अस्पताल और हॉस्टल को अधिग्रहित कर लिया गया। शहरी और ग्रामीण इलाकों में लगातार हाइपोक्लोराइड का छिड़काव कराया गया। भीलवाड़ा ने जिस तरह कोरोना पर जीत पाई उसकी देश-विदेश में चर्चा हुई थी।

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