बीकानेर@ रमजान का महीना मुस्लिम समाज के लिए खास मायने रखता है। इस माह में संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत एक जाती है। हर व्यक्ति अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है।
दिनभर की गर्मी में भी अलसुबह सहरी से शाम को इफ्तारी तक रोजेदार भूखा-प्यासा अल्लाह की इबादत करता है। इन रोजेदारों में महिला-पुरुष ही नहीं, छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच हर कोई लॉक डाउन हैं। धर्म भी लोगों को घर में ही रहकर करना पड़ रहा हैं। ऐसे समय में 7 साल की बेटी ने अपना पहला रोजा रखकर देश और दुनिया को कोरोना से निजात दिलाने के लिए ईश्वर से दुआ की हैं।
ऐसा ही उत्साह देखने को मिला सात साल की छोटी सी बच्ची फलक में।बीकानेर शहर के मौहल्ला चुंगरां स्थित मोहम्मद जहीर और अमीना की सात वर्षीय पोती फलक ने आज पहला रोजा रखा।फलक आरईएस पब्लिक स्कूल में कक्षा तीन की छात्रा है। वह दीनी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी कक्षा में भी अटेंडें में भी अव्वल है।होनहार फलक कई दिन से रोजा रखने की जिद कर रही थी फलक ने दोपहर तक का समय घर में ही गुजारा। दोपहर में उसने जौहर की नमाज अदा की तथा कुरआन शरीफ की तिलावत की। शाम के समय जोर से प्यास व भूख की शिद्दत दिखी तो कमजोरी का अहसास भी किया, लेकिन असर की नमाज अदा करने के बाद उसने घर में इफ्तारी बनाने में हाथ बंटाया। फलक के पहला रोजा रखने से परिवार के लोगों में खुशी है।अल्लाह बच्ची की दुआ को कुबूल कर अता फऱमाएं और पूरी दुनियों को कोरोना जैसी महामारी से निजात दिलाएं।
फलक ने आम लोगों से भी आग्रह किया है कि वह अपने घरों में रहें। त्योहार घर में रहते हुए इबादत करने से भी मनाया जा सकता है, नियमों का पालन करें। फलक ने गुरुवार को पूरे दिन रोजा रखा और शाम 7.11 पर रोजा इफ्तार किया।