आयुष मंत्रालय और सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मलेरिया के उपचार में प्रयुक्त होने वाली दवा आयुष-64 कोरोना के हल्के मरीजों के उपचार में कारगर है। इस दवा को काफी समय पूर्व केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने विकसित किया था और दवा बाजार में उपलब्ध है। एक साल पूर्व इसके कोरोना रोगियों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू किए गए थे जिनके नतीजों के आधार पर इसे कोरोना मरीजों के उपचार के लिए अनुसंशित कर दिया गया है।
आयुष मंत्रालय ने आयुष-64 समेत कई देशी दवा फामूर्लों को परखने के लिए सीएसआईआर के साथ मिलकर यह कार्यक्रम शुरू किया था। इसके लिए एक टास्क फोर्स गठित की गई थी। आयुष-64 समेत कई अन्य फामूर्लों का परीक्षण किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ, एम्स जोधपुर समेत कई नामी एलोपैथी एवं आयुर्वेद अस्पतालों में कोरोना मरीजों पर किए थे।
140 करोनो मरीजों पर परीक्षण
आयुष-64 दवा के 140 करोनो मरीजों पर परीक्षण के बाद उसे लक्षणविहीन, हल्के एवं मध्यम संक्रमण के उपचार के लिए उपयुक्त पाया गया है। यह चार जड़ी बूटियों सप्तपर्ण, कुटकी, चिरायता तथा कुबेराक्ष से निर्मित है।
मंजूरी का इंजतार
इस शोध से जुड़े आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डा. वी. एम. कटोच, डा, अरविंद चोपड़ा, डा. भूषण पटवर्धन तथा डा. एन. श्रीकांत ने गुरुवार को को एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेस में कहा कि दवा को हल्के लक्षणों वाले कोरोना रोगियों के उपचार के लिए प्रभावित घोषित किया गया। सरकार से कहा गया है कि राज्य ड्रग कंट्रोलरों को इस दवा को कोरोना मरीजों के उपचार की मंजूरी प्रदान करें। उन्होंने कहा कि एलोपैथी दवा के साथ-साथ इसे लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दवा के सेवन से जल्दी आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आती है। शारीरिक लक्षण जल्द खत्म हो जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। इससे मरीजों को जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।