नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब दो महीनों से किसान आंदोलन कर रहे है. 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा की जांच के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में कोई भी दखल नहीं देगा. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि सरकार मामले को देख रही है और कानून अपना काम करेगा.
इस मामले में आप सरकार को ज्ञापन दें- चीफ जस्टिस
मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बयान देखा है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है. कानून अपना काम करेगा, इसलिए हम दखल नहीं देना चाहते. इस मामले में आप सरकार को ज्ञापन दें.’’
याचिकाओं में क्या कहा गया था?
बता दें कि हिंसा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सामने पांच याचिकाएं लगी थीं. किसी में इसे देश विरोधी तत्वों की साज़िश बताया गया है, किसी में सरकार और पुलिस की लापरवाही. कुछ याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग के गठन की मांग की गई. कुछ याचिकाओं में कहा गया है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय साज़िश की आशंका के मद्देनजर जांच NIA को सौंपी जानी चाहिए.
हिंसा करने वालों पर पुलिस ने कसा शिकंजा
गौरतलब है कि लाला किले पर हुई हिंसा के आरोपियों पर दिल्ली पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू, जुगराज सिंह समेत चार लोगों पर एक-एक लाख का इनाम घोषित किया है. ये लोग लाल किला पर धार्मिक झंडा फहराने और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने में शामिल थे. इतना ही नहीं पुलिस ने हिंसा में शामिल चार अन्य लोगों पर 50-50 हजार का इनाम रखा है. दिल्ली पुलिस ने हिंसा की जांच के लिए ज्वाइंट कमिश्नर बीके सिंह के नेतृत्व में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) का गठन किया है. एसआईटी टीम में तीन अन्य डीसीपी जॉय तुर्की, भीषण सिंह और मोनिका भारद्वाज भी शामिल है.