बीकानेर@
‘पूरा हाॅस्पिटल मरीजों से भरा था। कई मरीज गंभीर थे। चुनौती के इस दौर में हमारे डाॅक्टर रात के दो-तीन बजे तक लगे रहे और कईयों को मौत के मुंह से निकाला। जिला प्रशासन के अधिकारी चौबीसों घंटे माॅनिटरिंग करते। सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। कहीं भी ढिलाई होती तो प्रदेश और बीकानेर किस स्थिति में जाता, यह सोचकर ही रूह कांप उठती है।’
यह कहना है रानी बजार क्षेत्र में रहने वाली सत्तर वर्षीया सेवानिवृत्त अध्यापिका चंद्रकला भाटी का। उन्होंने बताया कि जब कोरोना संक्रमण चरम पर था, तब वह और उनके पति जेठाराम भाटी भी संक्रमित हो गए। पति की उम्र 74 वर्ष थी और एक साल पहले ही निमोनिया, सांस में तकलीफ जैसी बीमारियों के कारण गंभीर बीमार हो गए थे। ऐसे में उनका डर लाजमी था और वह दोनों कोविड अस्पताल में भर्ती हो गए।
जेठाराम भाटी ने बताया कोविड अस्पताल पहुंचते ही उनका इलाज शुरू हो गया। डाॅक्टरों का व्यवहार ऐसा था, मानो मरीज उनके भाई या रिश्तेदार हों। उन्होंने जिला प्रशासन की भी भरपूर सराहना की और कहा कि डाॅक्टरों ने खूब मेहनत की और मरीजों की जान बचाने के लिए जी-जान लगा दी।
भाटी दम्पति ने कहा कि कोविड अस्पताल में उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। चाय, खाना, साफ-सफाई, चद्दर बदलना, दवाईयां और डाॅक्टरों और नर्सिंग कर्मियों द्वारा देखभाल, सभी समय पर होते। चंद्रकला ने रुंधे गले से कहा, वह कभी नहीं चाहती कि कभी भगवान ऐसी स्थिति बनाए, लेकिन संकट के इस दौर में सरकार की ओर से कोई कमी नहीं रही। प्रशासन और डाॅक्टरों की ओर से हजारों लोगों के लिए की गई व्यवस्था देखकर, उन्हें विश्वास हो गया कि सरकार उनके साथ है।