राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने सोमवार को अलवर के मालाखेड़ा में जरुरतमंदों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर मुहैया कराने की घोषणा की। गहलोत की इस घोषणा के बाद राजस्थान सहित पूरे देश में इस घोषण की चर्चाएं होने लग गई हैं।
देशभर का बड़ा वर्ग इस पहल का स्वागत कर रहा है। वहीं, एक हिस्सा इसे जमीनी तौर पर टेस्ट करने की बात कर रहा है। मगर सियासी जानकारों का कहना है कि इससे अशोक गहलोत ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। यदि यह योजना लागू हुई तो
गहलोत की इस घोषणा का आम जनता, राजस्थान की सरकार, कांग्रेस, बीजेपी और प्रदेश की राजनीति पर असर पड़ेगा। जानते हैं कैसा रहेगा गहलोत का यह सियासी स्ट्रोक और क्या हैं इसके मायने?
पहले जानते हैं कि इस योजना में किन लोगों को फायदा होगा।
दरअसल, यह योजना सिर्फ उन ग्राहकों के लिए है जो राजस्थान में बीपीएल श्रेणी में हैं या फिर केंद्र की उज्जवला योजना के तहत एलपीजी गैस सिलेंड लेते हैं। ऐसे ग्राहकों को यह सिलेंडर 500 रुपए में राजस्थान सरकार मुहैया कराएगी। फिलहाल साधारण तौर पर सिलेंडर राजस्थान में लगभग 1050 रुपए में मिलता है। ऐसे में 1 अप्रैल 2023 से आधी से भी कम कीमत पर यह सिलेंडर मिल सकेगा।
उज्जवला योजना में कुल 69 लाख उपभोक्तों को सिलेंडर है
सिर्फ तीन एजेंसी इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचीपीसीएल को ही सब्सिडी दरों पर रीफिलींग की अनुमति है।
इंडियन ऑयल : 29 लाख
बीपीसीएल : 21 लाख
एचपीसीएल : 19 लाख
इस तरह 69 लाख उज्जवला उपभोक्ताओं को राजस्थान में 850 रुपए प्रति सिलेंडर की दर से गैस मिलती है। उज्जवला उपभोक्ताओं को केंद्र से 200 रुपए सब्सिडी मिलती है।
इसी तरह राजस्थान से बीपीएल श्रेणी में 6 लाख उपभोक्ता रजिस्टर्ड हैं।
इंडियन ऑयल : 3 लाख
बीपीसीएल : 1.5 लाख
एचपीसीएल : 1.5 लाख
इस तरह बीपीएल श्रेणी के 6 लाख उपभोक्ताओं को राजस्थान में सामान्य 1050 रुपए प्रति सिलेंडर की दर से गैस मिलती है। इन्हें उज्जवला योजना वाली 200 रुपए सब्सिडी भी नहीं मिलती।
राजस्थान का फूड डिपार्टमेंट और सेंटर का पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सैल का मानना है कि राजस्थान में औसतन 3 से 4 लोगों के परिवार के बीच एक सिलेंडर का इस्तेमाल होता है। ऐसे में इन 75 लाख उपभोक्ताओं को राजस्थान सरकार जब सस्ता सिलेंडर देगी तो इसका सीधा असर लगभग 2.25 करोड़ लोगों पर पड़ेगा।
सरकार को कितने पैसे देने होंगे इसे ऐसे समझें
- बीपीएल श्रेणी के 6 लाख उपभोक्ताओं को फिलहाल सिलेंडर 1050 रुपए में मिल रहा है। इसके बाद जब 500 रुपए में मिलेगा तो बचा हुआ 550 रुपया राज्य सरकार को देना होगा। इससे राज्य सरकार पर सालाना लगभग 396 करोड़ का अतिरिक्त खर्चा आएगा।
- इसी तरह उज्जवला के 69 लाख उपभोक्ताओं को फिलहाल सिलेंडर सब्सिडी के बाद 850 रुपए में मिल रहा है। ऐसे में जब उन्हें 500 रुपए में मिलेगा तो बचे हुए 350 रुपए राज्य सरकार को देने होंगे। इससे राज्य सरकार पर सालाना लगभग 2898 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा।
कुल 75 लाख उज्जवला और बीपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं को जब रियायती दरों पर राजस्थान सरकार सिलेंडर देगी तो इससे सरकार पर सालाना 3294 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा।