लंपी वायरस से गायों की मौत का सिलसिला अभी थमा नहीं है। शुक्रवार तक बीकानेर में सात सौ से ज्यादा गायों की मौत सरकारी रिकार्ड पर आ चुकी है, जबकि इससे दो गुना मौत का दावा पशुपालक कर रहे हैं। बीकानेर की सभी तहसीलों में गायों की मौत हो रही है।उधर जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने शुक्रवार को वायरस से पीड़ित गायों के पास पहुंचकर जायजा लिया। वो गाढ़वाला स्थित सोहनलाल बूला देवी ओझा गौशाला का निरीक्षण किया। उन्होंने गौशाला में लंपी स्कीन डिजीज से रोग ग्रसित गायों के लिए अलग से बनाए गए बाड़े (आइसोलेशन सेंटर) का अवलोकन किया। जिला कलेक्टर ने दवाइयों की उपलब्धता एवं रोग ग्रस्त पशुओं की स्थिति की जानकारी ली। जिला कलेक्टर ने कहा कि लंपी स्कीन डिजीज के मद्देनजर गौशालाओं में पूर्ण सावधानी रखी जाए। उन्होंने बताया कि राजीविका की पशु सखियों, कृषि पर्यवेक्षकों और सहायक कृषि अधिकारियों के माध्यम से लंपी स्कीन के लक्षण, बचाव के उपाय तथा दुष्प्रभावों के बारे में गांव-गांव में जानकारी दी जा रही है। प्रत्येक उपखंड अधिकारी को क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त किया गया है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सभी गौशालाओं का निरीक्षण तथा नॉर्म्स के अनुसार सावधानी बरतने के लिए निर्देशित किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला, उपखण्ड और तहसील स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। पशुपालक किसी भी प्रकार की जानकारी तथा मार्गदर्शन के लिए नियंत्रण कक्ष में संपर्क कर सकता है। इस दौरान कृषि विभाग के उपनिदेशक कैलाश चौधरी उपस्थित रहे।
प्रदेश में गोवंश पर लम्पी वायरस के कहर के बीच राहत की खबर है।
हरियाणा के केन्द्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकाें ने लम्पी के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन तैयार कर ली है। उत्तराखंड, राजस्थान समेत कई राज्यों में ट्रायल हो चुका है। कृषि मंत्रालय ने इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है। अगले सप्ताह तक वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। वैक्सीन बीकानेर वेटरनरी यूनिवर्सिटी से पीजी करने वाले अलवर निवासी डॉ. नवीन की अगुवाई में हरियाणा में 51 सेंटरों पर तैयार हुई है। यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एसके गर्ग ने बताया, वैक्सीन तैयार हो गई है। प्रदेश की 6 गाेशालाओं में ट्रायल की सहमति दी है। गायाें में वैक्सीनेशन जल्द शुरू हाेने की उम्मीद है।
राजस्थान में संक्रामक चर्म रोग से अब तक 4000 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है जबकि 90,000 से अधिक मवेशी संक्रमित हुए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मरने वाले मवेशियों में अधिकांश गाये हैं. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने पशुपालकों से भी अपील की कि अगर पशुओं में इस रोग के लक्षण दिखाई दें, तो वे अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय में संपर्क करें.
अब तक 4 हजार मवेशियों की मौत
पशुपालन विभाग में सचिव पी.सी. किशन ने बताया कि राज्य में लम्पी रोग से मरने वालों की संख्या करीब 4000 हो गई है. हालांकि ये सरकारी आंकड़े जारी हुवे है। उन्होंने बताया, ‘संक्रमण 16 जिलों में फैल गया है, बाड़मेर, जोधपुर और जालौर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं जबकि गंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू जिलों में इसका असर कम हो रहा है.’ उन्होंने कहा कि मरने वालों पशुओं की संख्या 4000 को पार कर गई है. पी सी किशन गुरुवार को बाड़मेर जिले के दौरे पर रहे.
सबसे ज्यादा इन जिलों में फैला वायरस
इस संक्रामक गांठदार चर्म रोग वायरस (एलएसडीवी) रोग को लंपी नाम दिया गया है. अब तक राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही, बीकानेर, चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, अजमेर, नागौर, जयपुर, सीकर, झुंझुनू और उदयपुर जिलों में यह बीमारी पशुओं में देखी गई हैं.
इन जिलों में हुईं सबसे ज्यादा मौतें
अधिकारियों के अनुसार बुधवार शाम तक हुई कुल 4,296 मौतों में से सबसे ज्यादा 840 मौतें गंगानगर से हुई हैं, इसके बाद बाड़मेर (830), जोधपुर (730), जालौर (580) और बीकानेर (527) मौते हुई हैं. उन्होंने बताया कि अब तक 94,358 संक्रमित जानवरों में से 74,118 से अधिक का इलाज किया गया है.
ऐसे फैलता है वायरस
अधिकारियों के अनुसार यह संक्रामक रोग रक्त चूसने वाले कीड़ों, मक्खियों की कुछ प्रजातियों और दूषित भोजन और पानी के जरिए फैलता है. इसके प्राथमिक लक्षण में पशुओं की त्वचा पर गांठ, तेज बुखार और नाक बहना है. उन्होंने बताया कि अफ्रीका में पैदा हुई यह बीमारी अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आई थी.