कोरोना काल में एग्जाम नहीं लेने और स्टूडेंट्स को सीधे प्रमोट करने के मामले में NSUI ने महाराजा गंगा सिंह युनिवर्सिटी से फीस वापस लौटाने की मांग रखी है। इस मांग के समर्थन में मंगलवार को NSUI ने इतना उग्र प्रदर्शन किया कि कुलपति सचिवालय के बाहर रखे गमलों को तोड़ दिया और करीब आधा घंटे तक नारेबाजी की। NSUI के पूर्व अध्यक्ष रामनिवास कूकणा के नेतृत्व में आए स्टूडेंट्स ने पहले कुलपति सचिवालय के बाहर नारेबाजी की। फिर वार्ता के लिए सब अंदर जाने की जिद करने लगे। पुलिस अधिकारियों ने पांच सदस्यों को ही जाने की अनुमति दी लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं था। ऐसे में नारेबाजी उग्रह हो गई। पुलिस कांस्टेबल्स के साथ जोर जबर्दस्ती का प्रयास भी हुआ। कुछ स्टूडेंट्स ने नाराज होकर गमले तोड़ने शुरू कर दिए। एक के बाद एक करके करीब दस गमलों को तोड़ दिया गया। कुलपति सचिवालय के बारह लगे लोहे के गेट पर भी स्टूडेंट्स ने जोर आजमाइश की। दरअसल, युनिवर्सिटी ने ग्रेजुएशन के फर्स्ट व सेकंड इयर के स्टूडेंट्स के एग्जाम कराने के बजाय उन्हें प्रमोट कर दिया था। ऐसे में इन स्टूडेंट्स पर युनिवर्सिटी का कोई खास खर्च नहीं आया। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब परीक्षा नहीं हुई तो उन्हें शुल्क वापस लौटाया जाये। अगर शुल्क वापस नहीं दिया जाएगा तो आंदोलन जारी रखा जायेगा।
एक सूत्री मांग है कि फीस वापस दो
उधर, कुलपति विनोद कुमार सिंह और अन्य अधिकारियों के साथ NSUI के पदाधिकारियों की मीटिंग चल रही है। जिसमें एक ही डिमांड है कि हर हाल में फीस कम की जाये। कुलपति इसे राज्य सरकार के स्तर का निर्णय बता रहे हैं। वहीं स्टूडेंट्स का आरोप है कि युनिवर्सिटी अपने हिसाब से फीस के बजट का दुरुपयोग कर रहा है।