जयपुर. राजस्थान में गहराते राजनीतिक संकट के बीच एक बड़ा फैसला लिया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कोई भी रूबरू नहीं हो सकेगा. अगले दो माह तक सीएम अशोक गहलोत व्यक्तिगत नहीं मिलेंगे. सीएम ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो महीने न किसी से मिलेंगे और न घर से बाहर निकलेंगे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही करेंगे मीटिंग और वार्तालाप करेंगे. सीएम गहलोत ने यह फैसला पोस्ट-कोविड के कारण डॉक्टर की सलाह पर लिया है. डॉक्टर्स ने कहा है कि अभी एक-दो महीने और वीसी से ही मीटिंग करें. विभागों की बैठकें और रिव्यू मीटिंग्स भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही हैं. कोरोना को लेकर एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी रूप से मीटिंग्स की गई हैं. लगभग 15-16 माह में करीब 355 वीसी की जा चुकी हैं, जिनसे कई बार गांव तक के प्रतिनिधि-वार्ड पंच, सरपंच भी जुड़ते हैं.
इसी बीच, राजस्थान में गहलोत-पायलट की कलह के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परेशानी अपने ही कुनबे से बढ़ती जा रही है. गहलोत खेमे की विधायक इंदिरा मीणा ने आज पाला बदल कर पायलट का समर्थन किया. इंदिरा मीणा ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को पायलट की मांगें माननी चाहिए औऱ मंत्रीमंडल विस्तार होना चाहिए. इतना ही नहीं इंदिरा मीणा ने विधायकों की फोन टेपिंग औऱ उन पर दबाब के मसले पर कहा कि विधायकों में ये डर और अनिश्चितता खत्म होनी चाहिए लेकिन कहा मेरा फोन टेप नहीं हुआ. बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल होने वाले छह विधायको ने आज अपनी अलग बैठक कर मौजूदा हालात में आगे की ऱणनिति पर चर्चा. बीएसपी विधायकों ने भी मंत्रीमंडल विस्तार की मांग की.
BSP से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों ने बढ़ाई गहलोत की टेंशन
बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों ने भी गहलोत की परेशानी बढ़ा दी. इन विधायकों ने जयपुर में एक विधायक के आवास पर अलग से बैठक की. कांग्रेस में शामिल होने के डेढ़ साल बाद ही मंत्री नहीं बनाए जाने से खफा है. एक विधायक लाखन सिंह ने कहा कि मंत्रीमंडल का विस्तार होना चाहिए. वहीं दूसरे विधायक संदीप यादव ने कहा कि हमारे कांग्रेस में शामिल होने से ही गहलोत सरकार में स्थरिता आई. अब गहलोत हमारा मान-सम्मान तय करें.
सूत्रों के मुताबिक पायलट खेमे औ खुद के गुट के विधायकों की भी नाराजगी के बाद गहलोत ने मंत्रीमंडल विस्तार औऱ राजनीतिक नियुक्तियों पर काम करना शुरू कर दिया है. गहलोत एक खाका तैयार पर पार्टी हाईकमान से बात कर सकते हैं लेकिन तत्काल के बजाय अगले महीने करना चाहते हैं.
मंत्रीमडंल में नौ सीट खाली हैं. कुछ मंत्रियों को हटा सकते हैं जिससे ज्यादा विधायकों को मौका दे सके. इसी तरह करीब 40 सीटें निगम बोर्डो में हैं जहां विधायकों को मौका दिया जा सकता है लेकिन गहलोत एक साथ के बजाय किश्तों में नियुक्ति करना चाहते हैं.