अखिल राजस्थान संयुक्त मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनीष विधानी ने अवगत कराया कि गहलोत सरकार से नाराज मंत्रालयिक कर्मचारियों ने जिला कलेक्ट्रेट के आगे किया जमकर विरोध प्रदर्शन कर पीडब्ल्यूडी के अध्यक्ष केके व्यास के नेतृत्व में अतिरिक्त जिला कलेक्टर बलदेव राम धोजक को सोपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन मांगे नहीं माने जाने पर दी पेन डाउन की चेतावनी।।जब-जब बाबू बोला है राज सिंहासन डोला है कि नारे से गूंज उठा कलेक्ट्रेट परिसर, विधानी ने ज्ञापन में मुख्यमंत्री को लिखा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की मांगे मैं एक चुनावी जुमला बनकर रह गई। प भली-भांति जानते हैं कि प्रदेश का मंत्रालय कर्मचारी शासन की रीड होता है क्योंकि सभी विभागों के प्रशासनिक दायित्व को भली-भांति त्याग, तपस्या और बलिदान का गुण अपनाकर अपना राज्य कार्य पूर्ण निष्ठा से संपादित करता है। आज संघ पुणे आपको अवगत कराना चाहेगा कि प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर होती जा रही है, क्योंकि वर्ष 2013 में आप की सरकार द्वारा दिए गए आर्थिक लाभ को पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में वित्त विभाग राजस्थान सरकार के दिनांक 30.10. 2017 के द्वारा वेतन कटौती का रूप लाभ को छीन लिया गया, एवं इसके पश्चात सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलने पर भी प्रदेश का मंत्रालयिक कर्मचारी को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। संग आपको पुनः अवगत करवाना चाहता है कि किस प्रकार से प्रदेश के मंत्रालय कर्मचारियों के साथ सदैव ही आर्थिक दुर्व्यवहार/भेदभाव पूर्व की सरकार द्वारा किया गया , सन 1950 में कनिष्ठ लिपिक व अध्यापक संवर्ग का वेतन बराबर था, जबकि आयुर्वेद कंपाउंडर, पशुपालन कंपाउंडर पुस्तकालय अध्यक्ष व कई अन्य कैडेट्स का वेतन मंत्रालयिक कर्मचारियों से कम हुआ करता था। सन 1976 में कनिष्ठ लिपिक व अन्य कैडेरस को बराबर कर दिया गया , सन 1989 मैं कनिष्ठ लिपिक को छोड़कर अन्य कैडर जैसे पुस्तकालय अध्यक्ष , पशुपालन कंपाउंडर इत्यादि प्राथमिकता बढ़ाया गया। सन 1998 में मंत्रालयिक कर्मचारियों की मांगों पर तत्कालीन सरकार व मंत्रालयिक कर्मचारियों के मध्य एक समझौता हुआ जो कि आज दिनांक तक लागू नहीं हुआ। सन 2006 में कनिष्ठ लिपिक को छोड़कर अन्य कई वर्गो ग्रेड पे 3600कर दी गई
वर्ष 2013 में वर्तमान सरकार व मंत्रालयिक कर्मचारियों के मध्य फिर समझौता हुआ लेकिन वह भी आज दिनांक तक लागू होने की प्रतीक्षा में है। वर्ष 2017 में वित्त विभाग राजस्थान सरकार ने दिनांक 30.10.17 को शेड्यूल 5 के अंतर्गत आदेश निकालकर सभी अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों की वेतन कटौती कर दी, ग्रेड पे 2400 के 3 लेवल और ग्रेड 28 00 दो लेवल कर दिए। वर्तमान मैं भी इस कोविड-19 के काल में देश का अल्प वेतनभोगी मंत्रालयिक कर्मचारी लोकतांत्रिक ढंग से अपनी जायज मांगों के लिए प्रयास कर रहा है,हाल ही में प्रदेश के लगभग सभी जनप्रतिनिधियों ने मंत्रालयिक कर्मचारियों की मांगों पर आदेश किए जाने की अभीशंशा की है , ।वर्तमान में मंत्रालयिक कर्मचारियों की स्थिति यह है कि कोई भी विभाग्य जॉब चार्ट निर्धारित नहीं होने से मंत्रालय कर्मचारी ना तो तृतीय श्रेणी सेवाओं में आ रहा है, ना ही चतुर्थ श्रेणी , एवं काम दोनों ही करता है। हाल ही में इस कोविड-19 काल में मंत्रालयिक कर्मचारियों द्वारा मांगों के विषय मैं सोशल मीडिया की सहायता लेकर विशाल ट्विटर अभियान चलाया, जिसमें बड़ी संख्या में 11 लाख ट्वीट किए गए। इसके अतिरिक्त भी प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों अलग-अलग तरीके अपना कर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। अल्प वेतनभोगी मंत्रालयिक कर्मचारीयों हमेशा ही राज्य सरकार द्वारा शोषण किया गया है, आर्थिक शोषण किया गया।यही नहीं राज्य सरकार ने सातवें वेतनमान में वेतन कटौती कर कर पे मैट्रिक्स लैब में उलझा कर इस अंतर को और भी गहरा कर दिया है,जिसके कारण सरकार की रीड की हड्डी समझे जाने वाला यह सब अपने आप को ठगा सा अति पिछड़ा मानने को मजबूर है प्रदेश के मंत्रालय के संगठनों के बार-बार सरकार को मांगों पर ज्ञापन भिजवाने के पश्चात भी सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों की मांगों को दरकिनार कर रही है जिससे प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों में भारी असंतोष व्याप्त हो गया है। शासन की रीड कहे जाने वाले इस संवर्ग के साथ ऐसा व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। अतः संघ के प्रदेश व्यापी वाहन पर पुनः आपका ध्यान आकर्षित कर मंत्रालयिक कर्मचारी की इन मांगों पर जल्द ही आदेश फरमावे।
- कनिष्ठ साहयको को विशेष वर्ग दर्जा देकर ग्रेड पे 3600 किया जावे।
- वित्त विभाग राजस्थान सरकार के दिनांक 30.10.2017 के शेड्यूल 5 के तहत हुई वेतन कटौती को निरस्त कर सातवें वेतनमान का लाभ दिया जावे।
- प्रदेश के मंत्रालय कर्मचारियों के हित में पृथक से निदेशालय का गठन कर प्रदेश के समस्त विभागों में स्टेट के आधार पर मंत्रालयिक के उच्च पदों में सर्जन किया जावे।
- सभी विभागों के नवनियुक्त मंत्रालयिक कर्मचारियों/ कनिष्ठ साहयको की परिवेदना निस्तारण कर, गृह जिलों में पदस्थापित किया जावे।
- सभी विभागों के राजकीय कार्यालयों में मंत्रालयिक कर्मचारियों के अतिरिक्त अन्य संवर्ग जैसे शिक्षक, इंजीनियर, कर्मचारियों की प्रति नियुक्तियां निरस्त कर , उन्हें उनके मूल पदस्थापन स्थान पर भेजा जावे, शिक्षा विभाग के कार्यालयों में कार्यरत शिक्षकों ,का पदस्थापन तत्काल प्रभाव से विद्यालय में किया जावे , उनके स्थान पर मंत्रालयिक कर्मचारियों के पदों में बढ़ोतरी की जावे।
- नई पेंशन योजना , वापस लेकर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए
इन सभी मांगों पर सरकार शीघ्र आदेश नहीं होने की स्थिति में अब मजबूरन प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों को आंदोलन का रास्ता अपनाना ही पढ़ रहा है । तत्पश्चात भी हमारी मांगों पर कोई विचार नहीं किया जाता है तो हमें मजबूरन पेन डाउन करना पड़ेगा। मांगे नहीं मानने की स्थिति में, संघ द्वारा कभी भी पेन डाउन की घोषणा की जा सकती है। आयोजित हुई मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन में , प्रदेश अध्यक्ष मनीष विधानी के साथ, प्रदेश महामंत्री जितेंद्र गहलोत,, प्रदेश अध्यक्ष महामंत्री मधुसूदन सिंह, प्रदेश परामर्श लक्ष्मी नारायण बाबा, बीकानेर संभाग अध्यक्ष रसपाल सिंह, बीकानेर जिला अध्यक्ष शिव छंगाणी, बीकानेर
शायद कर्मचारी जिला अध्यक्ष लक्ष्मण पुरोहित , कमल प्रजापत, कमल नयन सिंह, रवि सिंह डाय, विक्रम जोशी, प्रभु दयाल , लक्ष्मी नारायण , संजय भाटी, महेंद्र सिंह, विजय कुमार पारीक, जगवीर बेनीवाल, राज कुमार जोशी , पुरुषोत्तम जोशी, विद्यासागर रंगा , सहायक कर्मचारी संघ , शिव प्रकाश चंगानी , तरुण मोदी, रामनिवास, राजेंद्र आचार्य , संजय भाटी, कुशाल सिंह, युसूफ समेजा , उपेंद्र कुमार आचार्य, फारूक अहमद, हरिमोहन छगानी, मनीष राजवंशी , दिनेश मेहतानी, राजेश कुंज , ओम प्रकाश गहलोत, सीताराम शर्मा मुरली किराडू , सीताराम जोशी , बद्री नारायण प्रजापत, घनश्याम वर्मा , गणेश सुथार, संतोष व्यास , मनीष कुमार , राजीव शर्मा, श्रीकांत, पंकज जोशी, महेंद्र कुमार अचार्य, महेश सिंह, आशीष, पन्नालाल , नवीन कुमार शर्मा, , सौरभ सिरोही , मोहम्मद यूसुफ, चंदन सिंह , ताराचंद सिरोही आदि शामिल रहे।