पिछले आठ महीने से टीचर्स की डिमांड कर रहे गांव के बच्चों की बात कोई नहीं सुन रहा था। पत्र लिखे, स्कूल के आगे प्रदर्शन किया, तालेबंदी भी की, लेकिन किसी अधिकारी को इनकी आवाज सुनाई नहीं दी। परेशान होकर मंगलवार दोपहर में ये स्टूडेंट्स हाथ में तिरंगा लेकर निकल पड़े बीकानेर के लिए। राज्यभर का शिक्षा मुख्यालय बीकानेर में है और शिक्षा मंत्री भी बीकानेर से हैं, लेकिन इन बच्चों का दर्द कोई समझा ही नहीं। पैरों छालों के बाद ये बच्चे बुधवार सुबह फिर हाथ में तिरंगा लेकर रवाना हो गए हैं। करीब बारह बजे ये बच्चे शिक्षा निदेशालय पहुंच जाएंगे।
दोपहर तक तो यही माना जा रहा था कि बच्चों को ग्रामीणों ने उकसाया है, वो गांव से निकल तो पड़े है लेकिन पहुंचेंगे नहीं। ब्लॉक जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षा निदेशक तक किसी ने इस यात्रा को गंभीरता से नहीं लिया। शाम होते-होते बच्चे थक गए, किसी के पैर दर्द कर रहे थे तो किसी के सिर में दर्द शुरू हो गया। रात करीब दस बजे ये बच्चे बीकानेर से कुछ ही किलोमीटर दूर खारा गांव पहुंच गए। तब तक बच्चों की तबियत बिगड़नी शुरू हो गई। इनके साथ चल रहे ग्रामीणों ने बच्चों को खारा में ही एक मंदिर में रोक लिया। आगे जाने से रोक दिया। बोला अभी आराम कर लो, सुबह फिर चलेंगे। बच्चे वहां रुके तो पता चला कि किसी के पैर में फाले हो गए हैं ताे किसी के पैरों से चमड़ी उतरने लगी है। डॉक्टर्स को फोन किया गया। बीसीएमओ डॉ. सुनील हर्ष ने एक टीम को मौके पर भेजा, आशा सहयोगिनी ने पहुंचकर बच्चों के पैरों में पट्टी बांधी। तब जाकर आराम आया।
फिर जाग गया प्रशासन
खारा में बच्चों के पहुंचने के बाद न सिर्फ तहसीलदार को होश आया, बल्कि शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल तक ने इसे गंभीरता से लिया। यहां तक कि मामला शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला तक पहुंच गया। तुरंत शिक्षा निदेशक ने एक आदेश जारी किया और प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल की नियुक्ति कर दी। मजे की बात है कि संयुक्त निदेशक कार्यालय में अर्से से ये अधिकारी एपीओ के रूप में आराम फरमा रहे थे। दो टीचर्स का डेपुटेशन कर दिया गया है, जबकि दो अन्य टीचर्स जो यहां से अन्यत्र डेपुटेशन चल रहे थे, उन्हें भी वापस सोढवाली रवाना कर दिया है। इन छह टीचर्स के बाद भी स्कूल में सात टीचर्स के पद रिक्त है। देर रात करीब दस बजे शिक्षा निदेशालय के स्टॉफ ऑफिसर अरुण शर्मा ने मीडिया को जानकारी दी कि स्कूलों के रिक्त पदों में कुछ नियुक्ति और प्रतिनियुक्ति हो गई है।
गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में वर्तमान में 500 से अधिक स्टूडेंट्स के लिए मात्र 10 का स्टाफ है। इनमें से दो शिक्षकों का करीब तीन साल से अन्यत्र प्रतिनियुक्ति पर लगा रखे हैं तथा शाला में वर्तमान में 14 शिक्षकों के पद रिक्त है। जिससे विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था अस्त-व्यस्त होने से छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में है। विद्यालय में नियुक्त 10 शिक्षकों में से 2 प्रतिनियुक्ति के अलावा 14 पद लम्बे समय से रिक्त है। ग्रामीणों के अनुसार विद्यालय में प्रधानाचार्य व उप प्रधानाचार्य के पद खाली है। इसके अलावा द्वितीय श्रेणी में गणित, विज्ञान व अंग्रेजी, तृतीय श्रेणी में एल-वन के तीन, एल-टू के 2 पद तथा एक-एक पद सामान्य शिक्षक, कनिष्ठ लिपिक व सहायक कर्मचारी के खाली चल रहे है।