महापौर सुशीला कंवर पर प्रस्तावित धारा 39 की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने दिया स्टे
नगर निगम बीकानेर में चल रही गहमागहमी के बीच आयुक्त गोपाल राम बिरडा द्वारा भेजी गई एक तथाकथित जांच के आधार पर निदेशक स्वायत्त शासन विभाग द्वारा महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित को धारा 39 के तहत नोटिस जारी कर 7 दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया था। निदेशक द्वारा 21 सितंबर को जारी नोटिस के अनुसार सचिव हंसा मीणा की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयुक्त द्वारा एक तथाकथित जांच रिपोर्ट भेजी गई थी,जिसको आधार मानकर निदेशक द्वारा धारा 39 की कार्यवाही प्रारंभ की गई।
हालांकि आयुक्त द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के बाद महापौर खुद जयपुर जाकर निदेशक से मिली और पूरी वस्तुस्थिति से अवगत करवाया था । महापौर ने आयुक्त की इस पूरी जांच रिपोर्ट भी सवालिया निशान खड़े करते हुए मुख्यमंत्री सहित सभी शीर्ष अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत करवाया था कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम के अनुसार आयुक्त महापौर का अधीनस्थ कर्मचारी है ऐसे में बिना सक्षम स्तर के आदेशों के कोई अधीनस्थ कर्मचारी अपने उच्च अधिकारी के विरुद्ध जांच नही कर सकता।
आयुक्त गोपाल राम बिरड़ा द्वारा एक नागरिक से मारपीट के मामले में निलंबन पश्चात उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश के बाद पुनः पदस्थापन होते ही महापौर के खिलाफ यह तथाकथित रिपोर्ट भेजी गई।
महापौर सुशीला कंवर द्वारा दायर याचिका को प्राथमिकता से सुनने के पश्चात न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने इस पूरे मामले पर स्थगन आदेश पारित कर दिया।महापौर ने कहा की वर्तमान राज्य सरकार जहां जहां भी विपक्ष के बोर्ड है वहां अनावश्यक रूप से दुर्भावना से ग्रसित होकर बोर्ड को अस्थिर करने के उद्देश्य से अधिनियम की धारा 39 का दुरुपयोग कर रही है। यह सरकार और सरकार द्वारा भेजे गए कुछ लोग जो बोर्ड और बीकानेर शहर की व्यवस्था को बिगाड़ने के उद्देश्य से ही यह आए है, वे कितनी भी कोशिश कर ले मैं अपने शहर और निगमहित के लिए हमेशा डटकर मुकाबला करूंगी।मुझे भारत के संविधान और न्यायिक व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास है । सत्यमेव जयते सत्य की हमेशा जीत हुई है । आयुक्त द्वारा भेजी गई झूठी अनाधिकृत जांच और राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिस के विरुद्ध न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश पारित किया जा चुका है।